भारत और ब्रिटेन जिस डील को लेकर आपस में उलझे हैं, वो है क्या? क्या ऋषि सुनक के आने से बनेगी बात?
भारत और यूके के बीच में इस साल जनवरी से ही मुक्त व्यापार समझौते के लिए कवायद जारी है. दिलचस्प बात है कि तबसे यूके तीन प्रधानमंत्री देख चुका है. आर्थिक संकट से गुजर रहे यूके के लिए वित्त मंत्री रह चुके सुनक से सही मरहम की आस लगाई जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारतीय मूल के नये-नवेले ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से फोन पर बातचीत की और ट्विटर पर दी गई इस जानकारी में एक जो खास बात निकलकर आई वो India-UK FTA Deal को जल्द से जल्द फाइनल करने की कोशिश. पीएम ने कहा कि रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के वादे के साथ इस बात पर भी सहमति बनी कि एक विस्तृत और संतुलित FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) पर जल्दी फैसला जरूरी है.
भारत और यूके के बीच में इस साल जनवरी से ही मुक्त व्यापार समझौते के लिए कवायद जारी है. दिलचस्प बात है कि तबसे यूके तीन प्रधानमंत्री देख चुका है. बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद लिज़ ट्रस आईं और 45 दिनों में ही इस्तीफा देकर चली गईं. इसके बाद कंजर्वेटिव पार्टी से ही ऋषि सुनक को पीएम बनाया गया है. आर्थिक संकट से गुजर रहे यूके के लिए वित्त मंत्री रह चुके सुनक से सही मरहम की आस लगाई जा रही है.
इसके साथ ही भारत यह कोशिश कर रहा है कि जल्द से जल्द इस डील को फाइनल किया जा सके, लेकिन इस पूरे आर्टिकल का कोई मतलब नहीं, अगर आपको इसके Crux यानी कि डील क्या है, इस बारे में ही नहीं पता हो. इसके अलावा हमारे पास सवाल हैं कि ऋषि सुनक के PM बनने से क्या भारत को सचमुच फायदा होगा? इस डील में अड़चन क्यों आ रही है? आइए समझते हैं
क्या है India-UK FTA Deal?
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट दो या इससे ज्यादा देशों के बीच में होने वाली ऐसी डील को कहते हैं, जिसमें सभी पक्ष में आपस में आयात-निर्यात पर लगने वाले टैरिफ यानी शुल्क को या तो कम करने या खत्म करने का फैसला करते हैं. FTA के तहत, डील में शामिल देशों के तहत टैरिफ से जुड़ी रुकावटें न के बराबर या बिल्कुल नहीं होती हैं. इससे व्यापार ज्यादा लचीला हो जाता है और इंडस्ट्री-मैन्युफैक्चरिंग पर जो प्रोटेक्टिव बैरियर होते हैं वो हट जाते हैं, यानि कि ट्रेड ज्यादा फ्री-फ्लो हो जाता है.
ऐसे समझौते में देश आपस में ज्यादा से ज्यादा माल के आयात पर कस्टम ड्यूटी में बड़ी कटौती कर देते हैं. यानी दूसरे देश से कोई माल मंगाने पर कम पैसे देने होते हैं. इसके साथ ही निवेश और सर्विस ट्रेड को बढ़ावा देने के लिए नियमों में भी डील दी जाती है.
कहां तक बन पाई है बात?
अभी इसी बुधवार को यूके संसद में India-UK FTA पर चर्चा हुई है. ट्रेड मंत्री ग्रेग हैंड्स ने बताया कि कई अहम मुद्दों पर दोनों पक्षों ने पहले ही सहमति जता दी है और जल्द ही अगले राउंड की बातचीत होगी. पॉलिसी के 16 सेक्टरों से जुड़े 26 चैप्टर पहले ही मंजूर किए जा चुके हैं. इसके अलावा, Alcoholic beverages/Whisky जैसे मुद्दों पर ब्रिटेन कुछ और स्पष्टता चाहता है. भारत सरकार और वाणिज्य मंत्रालय भी इसके लिए तैयारी कर चुके हैं.
कहां फंसी है बात, क्यों आया है अड़चन?
जनवरी, 2022 में इस डील की बात शुरू हुई थी, पिछली डेडलाइन दिवाली की थी, जो निकल गई. सबसे बड़ा अड़चन पिछली होम सेक्रेटरी सुवेला ब्रेवरमेन के बयानों ने डाला है. दरअसल, उन्होंने भारतीय प्रवासियों को लेकर कुछ कॉमेंट किए थे. उन्होंने "वीजा पर लिमिट से ज्यादा रुकने वालों" को लेकर कुछ बातें कही थीं, जिससे कई गलियारों में फुसफुसाहट हुई थी. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि "मुझे भारत के साथ ओपन बॉर्डर माइग्रेशन पॉलिसी रखने को लेकर फिक्र है, क्योंकि ब्रेक्जिट के पक्ष में लोगों ने इसलिए वोट नहीं किया था."
भारतीय स्टूडेंट्स और आंत्रप्रेन्योर्स के वीजा पर रुकने को लेकर उनका बयान कुछ यूं था, "इस देश में माइग्रेशन पर नजर डालिए- लिमिट से ज्यादा रुकने वालों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की है. हमने इसे लेकर पिछले साल भारत सरकार से बातचीत भी की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ." उनके इन बयानों पर काफी हैरानी जताई गई थी.
क्या ऋषि सुनक के आने के बाद बदलेगी स्थिति?
एनालिसिस एलिमेंट प्लेटफॉर्म्स के चेयरमैन और मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने ये सवाल पूछे जाने पर कहा कि ऋषि सुनक के आ जाने के बाद शायद ही भारत के पक्ष में अलग से कोई बदलाव देखने को मिले. भारत को इससे ज्यादा कोई फायदा होगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता.
ऋषि सुनक ब्रिटेन में पैदा हुए हैं, वो ब्रिटिश नागरिक हैं, और अब वो ब्रिटेन के पीएम हैं, तो सीधी सी बात है वो ब्रिटेन को पहले ऊपर रखेंगे. और एक और डर ये भी रहता है कि ऐसे हालात में लोग ओवरकॉम्पनसेट करने लग जाते हैं. यानि कि ये दिखाने के लिए कि वो बायस्ड नहीं हैं, वो जानबूझकर विरोध जताने लगते हैं, सुनक भी ऐसा करेंगे ये अभी से नहीं कहा जा सकता, लेकिन सीधी सी बात ये है कि वो यूके के हित को ऊपर रखेंगे.
वैसे भी भारत अब दुनिया की पहली चौथी-पांचवी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, ऐसे में वो ऐसे ही पेश आ रहा है, उसे अपना हित सोचना होगा, और खुद को वैसे ही सामने रखना होगा.