भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड अग्रीमेंट हमारी टॉप प्रायोरिटी, दिसंबर में होगी अगले दौर की वार्ता : गोयल
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और इंग्लैंड के बीच फ्री ट्रेड अग्रीमेंट हमारी टॉप प्रायोरिटी है. दिसंबर में अगले दौर की वार्ता होगी. ग्लोबल राजनीतिक कारणों से इसमें थोड़ा विलंब हुआ है.
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) दोनों देशों के लिए टॉप प्रायोरिटी है. उन्होंने साथ ही कहा कि समझौते के लिए अगले दौर की बातचीत दिसंबर में होने वाली है तथा चर्चा अच्छी तरह से आगे बढ़ रही हैं और इसके अच्छे परिणाम मिलेंगे. गोयल ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम सभी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि यह (समझौता) बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा था, लेकिन दूसरे देश में राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण हमें थोड़ा झटका लगा.’’
ब्रिटेन में राजनीतिक हलचल थी
उन्होंने कहा, ‘‘सौभाग्य से अब एक स्थिर सरकार है. मैं पहले से ही अपने (ब्रिटेन) समकक्ष के साथ संपर्क में हूं. हम एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं और संभवत जल्द ही एक व्यक्तिगत बैठक भी करेंगे लेकिन हमारी टीमें पहले से ही लगी हुई हैं. अगले दौर की वार्ता अगले महीने होगी.’’ उन्होंने कहा कि समझौते के लिए उद्योग जगत का समर्थन जरूरी है और यह निष्पक्ष, न्यायसंगत और संतुलित एफटीए होना चाहिए.
दीपावली तक पूरी होनी थी डील
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि एफटीए के लिए बातचीत पूरी करने की कोई सख्त समयसीमा नहीं होनी चाहिए. ऐसे समझौतों पर विचार करना होता है और सावधानीपूर्वक बातचीत होती है. उल्लेखनीय है भारत और ब्रिटेन ने एफटीए के लिए इस साल जनवरी में बातचीत शुरू की थी और ऐसा माना जा रहा था कि दीपावली (24 अक्टूबर) तक बातचीत पूरी हो जायेगी. हालांकि, ब्रिटेन में राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण इस समयसीमा तक बातचीत पूरी नहीं हो सकी.
ऑस्ट्रेलिया के संसद से FTA को मिली मंजूरी
इधर भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) को ऑस्ट्रेलिया की संसद से मंजूरी मिल गई है. ऑस्ट्रेलियो के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने ट्वीट कर यह जानकारी दी. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ट्वीट कर जानकारी दी कि, "भारत के साथ हमारा मुक्त व्यापार समझौता (FTA) संसद से पारित हो गया है." भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (AI-ECTA) को लागू करने से पहले ऑस्ट्रेलियाई संसद की मंजूरी जरूरी थी. भारत में इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी लेनी होती है. अब दोनों देश आपसी सहमति से फैसला करेंगे कि यह समझौता किस तारीख से लागू होगा.