75th Independence Day of India: भारत के राष्ट्रीय गान (National Anthem) के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर की आज 81वीं पुण्यतिथि है. रवींद्रनाथ टैगोर, गुरुदेव के नाम से भी जाने जाते हैं. उनका जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ था. 80 साल के टैगोर ने 81 साल पहले आज ही के दिन यानी 7 अगस्त, 1941 को कोलकाता में आखिरी सांस ली. गुरुदेव बेशक हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी लिखी रचनाएं जीवनभर हमारे बीच रहेंगी. इस बार रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की पुण्यतिथि और भी ज्यादा खास है क्योंकि इसी साल हमारे देश की आजादी को 75 साल पूरे होने जा रहे हैं. आज से ठीक 8 दिन बाद हम 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे और उनके द्वारा लिखे गए राष्ट्र गान गाएंगे.

भारत ही नहीं बांग्लादेश के राष्ट्रगान के भी रचयिता हैं रवींद्रनाथ टैगोर

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गुरुदेव की 81वीं पुण्यतिथि पर आज हम उनके बारे में कुछ रोचक जानकारी देंगे, जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे. सबसे पहले हम उनके द्वारा लिखे गए भारत के राष्ट्र गान की बात करेंगे क्योंकि देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस को देखते हुए राष्ट्र गान 'जन गण मन' सबसे खास और महत्वपूर्ण है. लेकिन, उससे पहले आपको ये भी जानना चाहिए कि रवींद्रनाथ टैगोर ने सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'अमार शोनार बांग्ला' भी लिखा था. बताया जाता है कि श्रीलंका का राष्ट्रगान लिखने वाले आनंद समरकून, गुरुदेव के ही शिष्य थे.

आजादी के ढाई साल बाद भारत को मिला राष्ट्र गान

आपको जानकर हैरानी होगी कि जब भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ तो उस वक्त हमारा कोई राष्ट्रगान नहीं था. रवींद्रनाथ टैगोर ने साल 1911 में 'जन गण मन' की रचना की थी लेकिन उस वक्त उसका नाम जन गण मन नहीं बल्कि 'भारत भाग्य विधाता' था. हालांकि, बाद में भारत भाग्य विधाता का नाम बदलकर जन गण मन कर दिया गया था और फिर 24 जनवरी, 1950 में भारत की संविधान सभा ने जन गण मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया था. यानी आजादी के करीब ढाई साल बाद भारत को अपना राष्ट्रगान मिला.

नोबल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय थे गुरुदेव

साल 1901 से लेकर 2021 तक कुल 943 व्यक्तियों और 25 संस्थानों को नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. भारत की बात करें तो इस दौरान सिर्फ 9 भारतीयों को ही नोबल पुरस्कार दिया गया. लेकिन क्या आपको मालूम है, भारत के लिए पहला नोबल पुरस्कार जीतने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि रवींद्रनाथ टैगोर ही थे. जी हां, रवींद्रनाथ टैगोर नोबर पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय थे. टैगोर को साहित्य के क्षेत्र में उनके अद्भुत योगदान के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया था.