बेनामी संपत्ति रखने वालों की अब खैर नहीं, सिर्फ जुर्माना देकर नहीं छूट सकेंगे, होगी कड़ी कार्रवाई
Income tax: आयकर विभाग अब नए दिशा-निर्देश के आधार पर कर चोरी करने वालों पर नए सिरे से कड़ी कार्रवाई कर सकेगा. आयकर विभाग अब कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकता है.
कालाधन रखने वालों और बेनामी कानूनों के तहत गंभीर अपराधों में लिप्त रहने वाले लोगों की अब खैर नहीं. आयकर विभाग ने संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं जिसमें अब ये केवल जुर्माना देकर नहीं छूट सकेंगे. बल्कि इन पर अब बड़ी और कड़ी कार्रवाई होगी. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) जो एक प्रत्यक्ष कर नीति बनाने वाली शीर्ष संस्था है, ने प्रत्यक्ष कर कानूनों, 2019 के तहत अपराधों की कम्पाउंडिंग के लिए एक संशोधित 32 पेज का नया दिशानिर्देश जारी किया है. आयकर विभाग अब नए दिशा-निर्देश के आधार पर कर चोरी करने वालों पर नए सिरे से कड़ी कार्रवाई कर सकेगा. यहां कुछ खास दिशा-निर्देशों की चर्चा करते हैं.
- नए नियम के मुताबिक, आयकर अधिनियम की धारा 279 (2) के तहत देय करों और अधिभारों के भुगतान के बदले में कर चोरी करने वाले के खिलाफ आयकर विभाग अब कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकता है. इससे पहले, करदाता सिर्फ कर की मांग, जुर्माना और ब्याज का भुगतान करके कर चोरी के मामलों को निपटाने में सक्षम थे.
- आयकर विभाग प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के संदर्भ में अपराधी के आचरण, अपराध की प्रकृति और परिमाण जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए कंपाउंडिंग की अनुमति दे सकता है.
- संशोधित सीबीडीटी दिशानिर्देशों के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंक वित्तपोषण, भ्रष्टाचार, बेनामी संपत्तियों पर कब्जा और अघोषित विदेशी संपत्ति के गंभीर आपराधिक मामलों के तहत अपराध "आम तौर पर" नन कम्पाउंडेबल होंगे.
- ताजा दिशा-निर्देशों में इसकी भी चर्चा है कि राष्ट्र-विरोधी या आतंकवादी गतिविधि से संबंधित अपराधों या प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए जाने वाले अपराधों (धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपराधों के लिए, CBI (IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), लोकपाल, लोकायुक्त या किसी भी स्थानीय पुलिस की तरह अन्य केंद्रीय या राज्य एजेंसी भी नन कम्पाउंडेबल "आम तौर पर" होगी.
- सीबीडीटी ने 13 मामलों को सूचीबद्ध किया है जहां अपराध आम तौर पर जटिल नहीं होते हैं.
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) से एक रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद उपयुक्त मामलों में इन दिशानिर्देशों में छूट देने या उस कम करने का एकमात्र अधिकार केंद्रीय वित्त मंत्री के पास होंगे.
- ऐसे मामले जिनमें आयकर की धारा के तहत अपराध को कम करने की मांग करने वाले व्यक्ति को अदालत ने दो साल या उससे अधिक की सजा दी हो, वह कंपाउंडिंग श्रेणी में नहीं आएगा.
- धारा 275ए, 275बी और धारा 276 के तहत किए गए अपराधों को कंपाउंड नहीं किया जाएगा.
- नए दिशानिर्देश में कहा गया है कि जो दिशानिर्देश 2014 में जारी किए गए थे, उससे अलग इस नए दिशानिर्देश का उद्देश्य काले धन और आपराधिक कर चोरी के गंभीर मामलों के खिलाफ कार्रवाई को कारगर बनाना है.