कर चोरी करना अब असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर हो जाएगा, क्योंकि आयकर (आईटी) विभाग कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए 1 अप्रैल से बिग डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करने जा रहा है. 'प्रोजेक्ट इनसाइट' नामक 1,000 करोड़ रुपये के कार्यक्रम के जरिए लोगों के सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल पर नजर रखी जाएगी और सोशल मीडिया पर अपलोड किए जाने वाली तस्वीरों और वीडियो के जरिए खर्च के तरीकों का पता लगाया जाएगा. अगर किसी व्यक्ति द्वारा घोषित आय के मुकाबले खरीद और यात्रा खर्च में विसंगति पाई जाएगी तो आयकर अधिकारियों को इस विसंगति की जानकारी दी जाएगी, जिसके बाद कार्रवाई की जाएगी. 

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जानकार सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग ने 15 मार्च से आयकर अधिकारियों को सॉफ्टवेयर का एक्सेस (पहुंच) प्रदान किया गया है. मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया, "अगर आप विदेश यात्रा कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर तस्वीरें व पोस्ट कर रहे हैं या महंगी कार खरीद रहे हैं, जो रिटर्न दाखिल करने में दर्ज आय के अपने साधनों से परे की हैं, तो आयकर विभाग उसका विश्लेषण करने के लिए बिग डेटा का इस्तेमाल कर सकता है और आपकी आय और खर्च की विसंगति की जांच कर सकता है."

सूत्रों ने बताया, "आयकर विभाग एक मास्टर फाइल का भी इस्तेमाल कर सकता है जिसमें व्यक्तियों और कॉरपोरेट के संबंध में पूरा ब्योरा और महत्वपूर्ण सूचनाएं होंगी." प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य कर चोरी करने वालों को पकड़ना और रिटर्न दाखिल करने और कर चुकाने वालों की तादाद में इजाफा करना है. इनसाइट प्रोजेक्ट में समेकित सूचना प्रबंधन प्रणाली होगी जिससे सही समय पर सही कदम उठाने में मदद के लिए मशीन लर्निंग को उपयोग किया जाएगा. 

कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए बिग डेटा का इस्तेमाल करने वाले बेल्जियम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के समूह में भारत शामिल होने जा रहा है. ब्रिटेन में 2010 में प्रौद्योगिकी की शुरुआत होने के बाद से इस प्रणाली से करीब 4.1 अरब पाउंड के राजस्व के नुकसान पर लगाम लगाई गई है.