H3N2 Influenza Virus: देश को वायरल बुखार ने जकड़ रखा है. H3N2 Influenza Virus से देश में शुक्रवार को दो मौतें भी दर्ज की गईं. जनवरी से ही देश में Adenovirus के मामले भी दर्ज हो रहे हैं. 1 जनवरी से टेस्ट किए गए सैंपल में से 25.4% मामले एडिनोवायरस के निकले हैं. वहीं इस बीच कई राज्यों में Covid-19 संक्रमण में भी तेजी देखी गई है, ऐसे में सरकार सतर्क हो गई है. इसपर कल स्वास्थ्य मंत्रालय की बैठक हुई थी. आज नीति आयोग ने भी इसपर बैठक की है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की ओर से राज्यों को चिट्ठी लिखी गई है, जिसमें वायरल फीवर को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाने को कहा गया है. 

राज्यों को दिए गए निर्देश

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कोरोनावायरस के केस कुछ राज्यों में बढ़ने पर स्वास्थ्य सचिव ने निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अस्पतालों को तैयारी की समीक्षा करने के निर्देश भी दिए गए हैं. H3N2 के संक्रमण को लेकर कहा गया है कि लोगों को इसके बचाव, लक्षण, इलाज की जानकारी उपलब्ध कराए जाएं. साथ ही राज्य Covid-19 वाले प्रोटोकोल को फॉलो करें. जरूरी दवाओं का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित रखें. उनसे केंद्र के साथ जानकारी साझा करते रहने की अपील की गई है.

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मार्च के अंत तक मिल सकती है वायरल फ्लू से राहत

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को उम्मीद जताई गई थी कि मार्च के अंत तक मौसमी इन्फ्लुएंजा के मामलों में कमी आ सकती है. सरकार सीज़नल इंफ्लुएंजा के सबटाइप H3N2 के मामलों की सतर्कता के साथ निगरानी कर रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय आईडीएसपी नेटवर्क के माध्यम से H3N2 मामलों की रीयल टाइम मॉनीटरिंग कर रहा है. राज्यों में मौसमी इन्फ्लुएंजा के H3N2 Subtype मामलों की कड़ी निगरानी और ट्रैकिंग जारी है. कल कर्नाटक और हरियाणा में एक-एक मौत हुई थी. सरकार के मुताबिक भारत में हर वर्ष फ्लू के दो सीजन आते हैं. जनवरी से मार्च और मॉनसून खत्म होने के बाद- ये वो वक्त है जब भारत में वायरल बुखार के मामलों में तेजी देखी जाती है.

H3N2 के लक्षण क्या हैं? (H3N2 Symptoms)

H3N2 में ठंड लगना, खांसी, ज़ुकाम, बुखार, उल्टी, गले में खराश, मांसपेशियों और शरीर में दर्द के साथ पेट खराब होना जैसे लक्षण देखे गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, H3N2 की बीमारी में बाकी वायरस के मुकाबले खतरनाक है. इसमें मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है. 92 फीसदी मरीजों में बुखार, 86 फीसदी में खांसी, 27 फीसदी में सांस लेने में दिक्कत, 16 फीसदी में सांस की नली में घरघराहट, 16 फीसदी में न्यूमोनिया और 6 फीसदी में मिर्गी की समस्या देखी गई है. 10 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट तो 7 फीसदी को आईसीयू केयर की जरूरत पड़ी है.

H3N2 के खिलाफ लड़ाई में इन बातों का रखें ध्यान (H3N2 Dos and Donts)

  • मास्क पहनें और भीड़ वाली जगहों से फिलहाल बचें.
  • खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को ढकें.
  • आंखों और नाक को बार बार न छुएं.
  • बुखार और बदन दर्द हो तो पैरासिटामोल ले लें.
  • एक दूसरे से हाथ ना मिलाएं.
  • सावर्जनिक जगहों पर ना थूकें.
  • एंटीबायोटिक ना लें, जब तक डॉक्टर ऐसा करने को ना कहें.
  • ग्रुप में एक साथ बैठकर खाना खाने से बचें. 

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