सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Information Technology) ने भारत में बैन की गई वेबसाइट और ऐप को प्रमाणिकता साबित करने के लिए 48 घंटे का समय दिया है. एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने ये जानकारी दी है. मंत्रालय के एक अन्य सीनियर अधिकारी ने कहा कि भारत में इन वेबसाइटों और ऐप को इसलिए बैन किया गया है क्योंकि उनका कामकाज सही नहीं था. उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे सही हैं, फिर उनपर प्रतिबंध क्यों लगाए गए? उनपर कदम उठाने के कारण हैं.’’ सरकार ने पिछले हफ्ते चीन समेत अलग-अलग विदेशी इकाइयों के 232 ऐप को बैन करने का आदेश दिया था. इन वेबसाइट और ऐप पर दांव लगाने, जुआ और अनधिकृत तरीके से कर्ज की सुविधा देने को लेकर प्रतिबंध लगाए गए हैं.

दस्तावेजों और रिपोर्ट्स के आधार पर लिया जाएगा फैसला

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एक अन्य सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘‘बैन किए गए वेबसाइटों और ऐप्स को नियमों के तहत दस्तावेज जमा करने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया है. उनके दस्तावेज और रिपोर्ट्स के आधार पर फैसला किया जाएगा.’’ बताते चलें कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गृह मंत्रालय के नोडल अधिकारी के दांव लगाने और जुए में शामिल 138 वेबसाइट और कर्ज देने वाले 94 ऐप पर आपातकालीन अनुरोध पर शनिवार को इन्हें बैन करने का आदेश जारी किया था. ये ऐप मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थे और देश की वित्तीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा थे.

बैन किए गए वेबसाइट और ऐप्स में ये नाम शामिल

जिन यूनिट्स पर बैन लगाया गया है, उनमें वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी लेजी पे और इंडिया बुल्स होम लोन शामिल हैं. प्रतिबंधित सूची में शामिल अन्य वेबसाइटों में बॉडीलोन डॉट कॉम, कैशटीएम डॉट इन, फेयरसेन्ट डॉट कॉम, ट्रु बैलेंस डॉट एन डॉट अपटॉउन डॉट कॉम और एम पॉकेट डॉट एन डॉट अपटाउन डॉट कॉम शामिल हैं. बताते चलें कि इन ऐप्स को लेकर कई लोगों ने शिकायत की थी कि उनका उत्पीड़न किया जा रहा है और जबरन वसूली की जा रही है. बैन किए गए ऐप्स के पीछे चीनी दिमाग बताया जा रहा है. इन ऐप्स का डायरेक्टर भारतीयों को बनाया गया था. जो आर्थिक रूप से तंग लोगों को कर्ज के जाल में फंसाते थे और फिर कर्ज के ब्याज को 3,000 फीसदी तक बढ़ा देते थे.

भाषा इनपुट्स के साथ