Free Electricity: इस राज्य के लोगों को सरकार का बड़ा तोहफा, हर महीने 125 यूनिट तक बिजली मिलेगी एकदम फ्री
अब झारखंड के लोगों को प्रतिमाह 125 यूनिट तक बिजली एकदम फ्री में मिलेगी. मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की अध्यक्षता में शुक्रवार शाम आयोजित कैबिनेट की मीटिंग में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई.
झारखंड में रहने वालों के लिए एक खुशखबरी है. वहां की चंपई सोरेन कैबिनेट ने लोगों को बड़ा तोहफा दिया है. अब झारखंड के लोगों को प्रतिमाह 125 यूनिट तक बिजली एकदम फ्री में मिलेगी. मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की अध्यक्षता में शुक्रवार शाम आयोजित कैबिनेट की मीटिंग में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. कैबिनेट में कुल 29 प्रस्तावों पर स्वीकृति की मोहर लगाई गई.
29 लाख उपभोक्ताओं को फायदा
बता दें कि अभी तक झारखंड राज्य में उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक की बिजली खपत के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता था. अब सरकार ने इस लिमिट को और भी ज्यादा कर दिया है. अब यहां के लोगों को 125 यूनिट तक खर्च की गई बिजली पर कोई भी पैसा खर्च नहीं करना होगा. सरकार का दावा है कि नए फैसले से राज्य के 29 लाख उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा.
इन प्रस्तावों को स्वीकृति मिली
कैबिनेट की बैठक में कुल 29 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई. इसमें राज्य में गिरिडीह और जमशेदपुर में झारखंड मिल्क फेडरेशन की ओर से नए डेयरी प्लांट और होटवार, रांची में मिल्क पाउडर एवं मिल्क प्रोडक्ट प्लांट की स्थापना का निर्णय लिया गया है. इन परियोजनाओं पर लगभग 500 करोड़ खर्च होंगे. बोकारो में इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की स्थापना से संबंधित बिल को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है. एक अन्य अहम फैसले के अनुसार राज्य में जन वितरण प्रणाली की दुकानों में अब 2-जी की जगह 4-जी पॉश मशीन उपलब्ध कराई जाएगी.
इस बैठक में झारखंड बिल्डिंग बॉयलॉज 2016 में संशोधन की भी स्वीकृति मिली है. बॉयलॉज में पहले प्रावधान था कि वैसी सड़क जिसकी चौड़ाई ज्यादा है, उसमें लोग पहले सरकार के पक्ष में जमीन दान देते थे. जमीन दान देने के बाद ही भवनों का नक्शा पास होता था. इस क्रम में पाया गया कि सीएनटी एक्ट से प्रभावित लोगों के जमीन का हस्तांतरण नहीं हो सकता था और वे दान भी किसी को नहीं दे सकते थे.
इसको देखते हुए कैबिनेट में निर्णय लिया गया कि उक्त भूमि जिसे उनको दान देना है, उसे सरेंडर करने के बाद भविष्य में वो उसको किसी तरह उपयोग में नहीं लाएंगे. अगर वो उसका उपयोग करते हैं तो भवन का नक्शा अस्वीकृत हो जाएगा. इसके अलावा ग्रीन बिल्डिंग के मापदंड को पूरा करने वाले लोगों को अब एसोचैम को सर्टिफिकेट देने के लिए अधिकृत किया गया है.
इनपुट आईएएनएस से