प्रचंड गर्मी के कारण समूचा उत्तर भारत झुलस रहा है. गर्मी के चलते उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कई जंगलों में आग लग गई है. जंगलों में लगी आग लगातार फैलती ही जा रही है. आग के कारण बड़े पैमाने पर जंगल राख हो ही रहे हैं, साथ ही यहां के किसानों का भी मोटा नुकसान हो रहा है. उत्तराखंड के करीब 2 हजार हेक्टेयर जंगलों में लगी आग से 40 लाख से अधिक की वन संपदा स्वाह हो चुकी है. आग को काबू करने के लिए एसडीआरएफ ने मोर्चा संभाल लिया है. इतना ही नहीं जंगल की यह आग अब आबादी में भी पहुंचने लगी है. आग में अब तक एक व्यक्ति की मौत हो गई है और 10 से अधिक लोग झुलस कर घायल हो चुके हैं.

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बीते एक माह से धधक रहे उत्तराखण्ड के जंगल अब लोगों के जान पर भारी पड़ने लगी है. आबादी क्षेत्र तक पहुंच चुकी आग से लोग तो डरे ही हुए हैं लेकिन आग पर काबू पाने में अबतक दस वन कर्मी झुलस चुके हैं. वहीं लीसा डिपो में काम करने वाले एक नेपाली मजदूर को भी आग बुझाने के प्रयास में अपनी जान गंवानी पड़ी.

लाखों की वन संपदा हुई खाक 

उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में धधक रही आग ने दोनों मंडल के कई जिलों को अपनी चपेट में ले रखा है. गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी जिले के धरासू, चिन्यालीसौड़, बड़कोट और डुंडा क्षेत्र के जंगल लगातार जल रहे हैं. वहीं टिहरी बौराड़ी मोटर मार्ग के छमुंड में भी जंगल आग आग की भेट चढ़ रहें हैं. गजा भिलंगना आदि क्षेत्रों में भी आग का असर दिख रहा है. पौड़ी जिले के देवप्रयाग, सतपुली मार्ग के जंगल भी आग से जल कर रहे हैं. कमोवेश इसी तरह के हालात बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ़ के अलग-अलग वन रेंज में भी देखी जा रही है. प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक जयराज के मुताबिक अबतक करीब दो हजार के आस-पास आग लने की घटनाएं हुई हैं जिसमें करीब चालीस लाख की वन संपदा का नुकसान हुआ है. 

दस झुलसे, एक की मौत 

आग बुझाने के प्रयास में अबतक दस वन कर्मी झुलस चुके हैं लेकिन, सबसे दुखद घटना बागेश्वर वन प्रभाग के बैजनाथ में हुई. बैजनाथ के कुलाऊं 3 बीट में लीसा श्रमिक नेपाल मूल का रियूटिया अपने कूप में लगी आग को बुझाने के प्रयास में बुरी तरह झुलस गया. बुरी तरह झुलसे व्यक्ति को उपचार के लिए हल्द्वानी रेफर किया गया जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई. वन विभाग द्वारा जंगलों में आग लगाने के आरोप में चंपावन वन प्रभाग द्वारा स्वामी रामकृष्ण व बागेश्वर वन प्रभाग ने मुकेश कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए गिरफ्तार भी किया. 

एसडीआरएफ ने संभाला मोर्चा 

उत्तराखंड के करीब दो हजार हेक्टेयर भूमि आग की भेंट चढ़ चुकी है. बारिश का इंतजार किया जा रहा है ताकि आग बुझ सके. इस बीच प्रदेश पुलिस की स्पेशल टीएम एसडीआरएफ को आग से अधिक प्रभावित क्षेत्रों में  तैनात कर दिया गया है. एसडीआरएफ के प्रयास से जंगलों की आग को बुझाया जा रहा है साथ ही मुसीबत में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर भी निकालने का काम किया जा रहा है. 

हिमाचल में भी आग

उत्तराखंड के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाके भी आग की चपेट में आ गए है. सिरमौर जिले के हरिपुरधार इलाके के चीड़ के जंगलों में धुआं उठता हुआ देखा जा सकता है. आग से बड़ी संख्या में पेड़ जल गए हैं. 

2016 में 1600 जगहों पर लगी आग

उत्तराखंड में जंगलों में हर साल आग लगने की घटनाएं होती है और ज्यादातर आग चीड़ के जंगलों में लगती है. जानकार बताते हैं कि चीड़ की पत्तियां पेड़ से झड़ कर जमीन पर बिछ जाती है और एक जाल की तरह पूरे इलाके को घेर लेती हैं. किसी जगह एक छोटी से चिंगारी इस चीड़ की पत्तियों में फैल कर दावानल का रूप धारण कर लेती है. वर्ष 2016 में उत्तराखंड में आग लगने की 1600 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 3500 हेक्टेयर का जंगल जलकर स्वाह हो गया था.

(देहरादून से मयंक राय की रिपोर्ट)