उत्तर प्रदेश में बिजली दरें बढ़ाने का रास्ता फिलहाल बंद हो गया है. राज्य विद्युत नियामक आयोग की पांच अगस्त को हुई पिछली बैठक में बिजली दरों में कटौती किये जाने के प्रस्ताव को दर्ज कर लिया गया है. अब आयोग अगले माह इस पर अपना फैसला सुनाएगा. विद्युत विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि गत पांच अगस्त को राज्य विद्युत नियामक आयोग की संवैधानिक कमेटी और राज्य सलाहकार समिति की बैठक हुई थी. 

अगले महीने तक आ सकता है फैसला, बिजली दरों की बढ़ोतरी का रास्ता बंद

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बैठक की लिखित कार्यवाही में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद द्वारा प्रस्तुत बिजली दरों में कटौती के प्रस्ताव को शामिल कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि अब नियामक आयोग द्वारा इस प्रस्ताव पर अगले महीने तक फैसला लिए जाने की उम्मीद है. तब तक राज्य में बिजली दरों में बढ़ोतरी का रास्ता बंद हो गया है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने एक बयान में बताया कि बिजली कंपनियों को वर्ष 2015-16 में केंद्र सरकार द्वारा लाई गई ‘उदय योजना’ का लाभ उपभोक्ताओं को देना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. 

उपभोक्ताओं को वापस लौटाने हैं 33 हजार 122 करोड़ रुपए

सूत्रों ने कहा कि इस हिसाब से बिजली कंपनियों को राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं को 33 हजार 122 करोड़ रुपये लौटाने हैं. वर्मा ने कहा,‘इसे (33 हजार 122 करोड़ रुपये) समायोजित करने के लिए बिजली कंपनियां या तो बिजली दरों में एक साथ 40 प्रतिशत की कमी लाएं या फिर अगले पांच वर्षों तक दरों में हर साल आठ फीसद की कटौती करें.’ 

उन्होंने बताया कि उपभोक्ता परिषद ने पांच अगस्त को हुई राज्य सरकार समिति की बैठक में यही प्रस्ताव पेश किया, जिसे कार्यवाही में दर्ज कर लिया गया है और अब नियामक आयोग इस पर फैसला करेगा। भाषा सलीम खारी