Telecom Bill Reform: सरकार ने टेलीकॉम बिल रिफॉर्म का ड्राफ्ट जारी कर दिया है. दूरसंचार के लिए Future Ready Legal regulatory फ्रेमवर्क पर 20 अक्टूबर तक सुझाव मांगे हैं. ज़ी बिजनस ने 14 सितंबर को बताया था कि सरकार जल्द टेलीकॉम बिल रिफॉर्म का ड्राफ्ट जारी करेगी. 1 सितंबर को बताया था इंटरनेट कॉलिंग को टेलीकॉम सर्विस माना जाए. इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनकेशंस (DoT) ने ट्राई की सलाह मांगी है.

टेलीकॉम कंपनियों के लिए अच्छी खबर

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पूरे सेक्टर की ग्लोबल कॉम्पिटिटिव बनाने के लिए रिफॉर्म ड्राफ्ट जारी किया गया है. जरूरत के अनुसार स्पेक्ट्रम आवंटन या नीलामी का फैसला संभव है. अभी तक ज्यादातर नीलामी ही की जाती है. ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम कंपनियों के फीस, पेनल्टी, और अन्य चार्जेस की पूरी तरह हटाया जा सकता है.

OTT की परिभाषा बदने का प्रस्ताव

OTT यानि Over The Top की परिभाषा बदलने का प्रस्ताव किया गया है. मतलब Whatsapp, Signal, Telegram, Skype समेत Satellite Based Internet, Broadband सर्विसेस, In Flight और Maritime Connectivity सेवा प्रदाता सभी कंपनियां दायरे में आएंगी.

दिवालिया होने पर सरकार के हाथ में टेलीकॉम कंपनी का नियंत्रण

एक बड़ा प्रस्ताव ये भी है कि अगर कोई टेलीकॉम कंपनी इन्सॉल्वेंसी में जाती है तो उसको मिला स्पेक्ट्रम सरकार के नियंत्रण में हो जाएगा. किसी भी आपात स्थिति अथवा राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से सरकार मैनेजमेंट और सेवा पर कंट्रोल कर सकती है अथवा किसी अधिकारी या राज्य की इसकी जिम्मेदारी दे सकती है.

स्पेक्ट्रम के शेरिंग, ट्रेडिंग, लीज या सरेंडर का प्रावधान है. लाइसेंस शर्तों के उल्लंघन पर लाइसेंस /रजिस्ट्रेशन रद्द करने, ऑफेंस की गंभीरता के आधार पर पेनल्टी का प्रस्ताव. सरकार डिस्प्यूट मैनेजमेंट का अलटर्नेटिव मैकनिज्म बनाएगी.

दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी के लिए USOF का दायरा बढ़ाया है ताकि सेवा प्रदाता कंपनी को लाभ मिले.  सरकार R&D, कौशल विकास और नए पायलट प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट करेगी.