नोटबंदी के चलते कितने हुए मौत के शिकार? सात साल बाद संसद में सरकार का बयान जो आपको कर देगा हैरान
Deaths due to Demonetisation: वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में बताया कि नोटबंदी से हुई मौतों का सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है. हालांकि ये बयान वित्त मंत्री अरुण जेटली के बयान से मेल नहीं खाता है.
Deaths due to Demonetisation: केंद्र सरकार ने 2016 में 1000 और 500 रुपये के पुराने नोट को बंद करते हुए पूरे देश में नोटबंदी का ऐलान कर दिया था. इसके बाद पूरे देश में लोग अपने पुराने नोटों को बदलने के लिए बैंकों के बाहर कतार में लग गए थे. इसके सात साल बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सदस्य अबीर रंजन बिस्वास (Abir Biswas) ने सरकार से पूछा कि नोटबंदी के कारण कितने लोगों की मौत हुई. इसके लिए उन्होंने सरकार से मरने वालों का पूरा ब्यौरा मांगा था. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर सरकार के पास इससे जुड़ा कोई डेटा नहीं है, तो उसके कारण क्या हैं? उन्होंने ये भी पूछा कि क्या सरकार मानती है कि नोटबंदी का उसका 'अनियोजित निर्णय' निर्दोष लोगों की मौत का कारण बना?
बिस्वास के सवाल पर सरकार की तरफ से वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि नोटबंदी के चलते मरने वालों की संख्या के बारे में उन्हें कोई सरकारी रिपोर्ट नहीं प्राप्त हुई है.
अरुण जेटली ने दिया था कुछ और आंकड़ा
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी का ये बयान पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के बयान से मेल नहीं खाता है. बता दें कि 18 दिसंबर, 2018 को तत्कालीन फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने लोकसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य एलामाराम करीम द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वीकार किया था कि नोटबंदी की अवधि के दौरान चार लोगों की मौत हुई थी.
करीम ने सरकार से सवाल किया था कि नोटबंदी के दौरान नोट बदलने के लिए लाइन में खड़े होने, मानसिक सदमे, काम के दबाव आदि के कारण बैंक कर्मियों सहित कितने व्यक्तियों की मौत हुई और क्या उनके परिवार को कोई मुआवजा दिया गया.
कहां हुई कितनी मौत?
इस सवाल के जवाब में तत्कालीन वित्त मंत्री जेटली ने कहा था, "भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने शून्य सूचना दी है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सूचित किया है कि नोटबंदी की अवधि के दौरान 3 स्टाफ सदस्यों और एक ग्राहक की मृत्यु हुई. मृतकों के परिवार के सदस्यों को 44,06,869 रुपये का मुआवजा दिया गया. इसमें ग्राहक के परिवार को दिए गए तीन लाख रुपये भी शामिल हैं."
सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर सुनाया फैसला
ज्ञात हो कि आठ नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने देश को संबोधित करते हुए 500 रुपये और 1000 रुपये के उच्च मूल्य वाले नोटों को चलन से बाहर किए जाने की घोषणा की थी. बाद में केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई थीं. इसी साल जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोट बंद करने के फैसले को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता.
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