Delhi AQI: दिवाली के पहले ही दिल्ली की हवा में 'जहर' घुलना शुरू हो चुका है. मंगलवार की सुबह दिल्ल की AQI ने 300 का लेवल पार कर लिया है. इसी के साथ मंगलवार की सुबह 8 बजे से दिल्ली में GRAP II लागू हो चुका है. ऐसे में इन सर्दियों में खुद को बीमार होने से बचाना है, तो अभी से सावधान हो जाने की जरूरत है. आइए जानते हैं कि एयर क्वालिटी को देखने के लिए इस्तेमाल होने वाला AQI क्या होता है और खराब हवा में आप खुद को कैसे बचा सकते हैं. 

दिल्ली में पॉल्यूशन के मुख्य कारण

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आमतौर में अक्टूबर के महीने से दिल्ली की हवा जहरीली होनी शुरू हो जाती है. दिल्ली में एयर पॉल्यूशन के कई सारे कारण हैं, जिसमें सबसे मुख्य कारणों में पराली जलना, गाड़ियों से होने वाला पॉल्यूशन, इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन, कंस्ट्रक्शन वर्क, मौसम, पॉपुलेशन, थर्मल पावर प्लांट आदि शामिल है. 

क्या है AQI?

Air Quality Index (AQI) वह पैमाने है, जिससे यह पता चलता है कि उस जगह की हवा सांस लेने लायक है या नहीं. AQI में हवा को पॉल्यूटेड करने वाले 8 कंपोनेंट्स को मापा जाता है, जिसमें सल्फर PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3 और PB शामिल है. एक सीमा से अधिक होने पर ये सभी मिल कर हवा को प्रदूषित करते हैं.

AQI के 6 लेवल

AQI को 6 अलग लेवल में बांटा गया है, जिसमें ये बताया गया है कि किसी शहर की हवा सांस लेने लायक है भी या नहीं. 

  • 0-50 - अच्छी
  • 51-100 - संतोषजनक
  • 101-200 - सामान्य
  • 201-300 - खराब
  • 301-400 - बहुत खराब
  • 401-500 - गंभीर

जहरीली हो हवा तो क्या करें

दिल्ली में जहरीली होती हवा के बीच सरकार आम लोगों के लिए गाइडलाइंस को जारी कर रही है. आइए जानते हैं कि AQI लेवल पर आपको कितनी सावधानियां बरतनी चाहिए

201-300 AQI के बीच क्या करें

  • अपने वाहनों जैसे कार, बाइक स्कूटर आदि की सर्विसिंग करा लें. समय-समय पर इंजन की जांच करते रहें. 
  • अपने वाहनों के टायरों के एयर प्रेशर को चेक करते रहें. 
  • पॉल्यूशंन को देखते हुए अपनी गाड़ी के PUC पेपर्स को अप टू डेट रखें.
  • बिना मतलब गाड़ी का इस्तेमाल न करें और लाल बत्ती पर भी इंजन को बंद कर दें. 
  • खुले में कूड़ा-कचरा फेंकने से बचें.
  • पॉल्यूशन कम करने के लिए हाइ्ब्रिड या EV व्हीकल का इस्तेमाल करें.
  • अपने आस-पास अधिक से अधिक पौधों को लगाएं.
  • त्योहार को इकोफ्रेंडली तरीकों से मनाएं और सरकारी गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए पटाखे न जलाएं.
  • नियमों के मुताबिक 10 और 15 साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों का इस्तेमाल न करें.

301-400 AQI के बीच क्या करें

  • ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें और प्राइवेट गाड़ियों का इस्तेमाल अतिआवश्यक स्थिति में ही करें. 
  • समय-समय पर अपनी गाड़ी का एयर फिल्टर बदलते रहें.
  • अक्टूबर से जनवरी महीने के बीच धूल फैलाने वाली सभी निर्माण गतिविधियों को रोक दें.
  • ज्यादा से ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें. 
  • कम भीड़-भाड़ वाले रास्तों का इस्तेमाल करें.
  • खुले में कूड़ा कचरा न फैंके और न ही इन्हें जलाएं.

401-450 AQI के बीच क्या करें

  • कम दूरी के सफर में पैदल जाएं या साइकिल का इस्तेमाल करें.
  • ऑफिस जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें या फिर ईवी व्हीकल से चलें.
  • संभव हो सके तो घर से काम करें.
  • गर्मी बढ़ाने के लिए कोयला या लकड़ी को न जलाएं. 
  • हो सके तो सुरक्षा कर्मचारियों को इलेक्ट्रिक हीटर दे सकते हैं. 

450 AQI के ऊपर क्या करें

बच्चे, वृद्ध और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को जितना हो सके घर से बाहर जाने से बचना चाहिए. 

कैसी है दिल्ली की आबो-हवा

केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार दिल्ली में मंगलवार सुबह 8:30 बजे तक औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 317 अंक पर बना हुआ है. दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग स्थानों की बात करें तो शहर फरीदाबाद में 156, गुरुग्राम में 221, गाजियाबाद में 263, ग्रेटर नोएडा में 276 और नोएडा में 246 अंक बना हुआ है. दिल्ली के अधिकांश और ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर 300 से ऊपर और 400 के बीच में बना हुआ है, जो बेहद खराब श्रेणी मानी जाती है.

वहीं, दिल्ली के 8 इलाकों में एक्यूआई स्तर 200 से ऊपर और 300 के बीच में बना हुआ है. जिसमें, चांदनी चौक में 212, डीटीयू में 272, आईटीओ में 296, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 264,लोधी रोड में 281, एनएसआईटी द्वारका में 250, पूसा में 303 और श्री अरविंदो मार्ग में 298 अंक बना हुआ है.