दिल्ली उच्च न्यायालय ने पश्चिमी दिल्ली के मायापुरी इलाके में 800 व्यापारियों पर कथित तौर पर प्रदूषण फैलाने को लेकर एक-एक लाख रुपये के एकमुश्त जुर्माना लगाने के डीपीसीसी के फैसले को शुक्रवार को प्रथमदृष्टया अस्वीकार्य बताया. अदालत ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने इकाइयों या सामग्रियों की पहचान किये बगैर व्यापारियों पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने को लेकर एकमुश्त जुर्माना लगा दिया. 

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम फैसले में 22 मई को मामले की अगली सुनवाई तक 800 व्यापारियों के खिलाफ किसी तरह का प्रतिगामी कदम नहीं उठाने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति विभु बखरु ने कहा, 'ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया था. हालांकि ऐसा लगता है कि उक्त निर्देश का पालन नहीं किया गया है.' 

अदालत मायापुरी औद्योगिक क्षेत्र के कई व्यापारियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने डीपीसीसी के दो अप्रैल के आदेश को चुनौती दी है. उन्होंने कहा, 'अदालत की यह राय है कि बिना इकाइयों और सामग्रियों की पहचान किये बगैर दिया गया एकमुश्त आदेश प्रथमदृष्टया अस्वीकार्य प्रतीत होता है.'