Delhi AIIMS CYBER ATTACK: एम्स में साइबर हमले के 13वें दिन सोमवार को सर्वर का पहली बार सफल ट्रायल रन किया गया.ऑनलाइन ओपीडी रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू कर चेक किया गया कि मरीजों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो पा रहा है या नहीं. मिली जानकारी के अनुसार, सुबह कुछ मरीजों के ओपीडी कार्ड भी ऑनलाइन बनाए गए और कुछ मरीजों को ऑनलाइन पेपर बनाकर भर्ती भी किया गया. यहां आज एक दिन में 3000 रजिस्ट्रेशन किए गए. जल्द शुरू होगी स्मार्ट लैब की बारकोड सुविधा स्मार्ट लैब और अन्य लैब की आटोमेटिक सेवाएं भी अगले सप्ताह तक शुरू होने जा रही हैं. एम्स डीआरडीओ की मदद से ऑनलाइन सिस्टम दोबारा शुरू करने की तैयारी कर रहा है. एम्स के नेटवर्क से जुड़े लगभग पांच हजार कंप्यूटरों का सभी डाटा हार्ड ड्राइव में सुरक्षित कर उन्हें फॉर्मेट किया गया है. इसके बाद उनमें एडवांस एंटी वायरस सॉफ्टवेयर डाला गया है.

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23 नवंबर को हुआ था साइबर अटैक एम्स में 23 नवंबर की सुबह करीब सात बजे इमरजेंसी लैब में कॉल आया था कि मरीजों की रिपोर्ट खुल नहीं पा रही है. इस कॉल के तुरंत बाद एम्स के बिलिंग सेंटर की फाइल का खुलना भी बंद हो गया. इसके बाद जब ओपीडी फाइलों को जांचा गया तो वह भी नहीं खुल रही थी. इसके बाद से ही अस्पताल में हड़कंप मच गया. हैकर्स ने मांगे थे 200 करोड़ रुपये क्रिप्टोकरंसी

हैकर्स ने एम्स-दिल्ली से 200 करोड़ रुपये क्रिप्टोकरंसी में मांगे थे. छठे दिन भी मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. एम्स में इमरजेंसी, आउटपेशेंट, इनपेशेंट, लैब इकाई को रजिस्टरों पर और मैनुअली देखा जा रहा है. लेकिन इस बात से एम्स प्रशासन में साफ तौर पर मना किया है कि 200 करोड़ रुपये क्रिप्टोकरंसी मांगने की कोई बात नहीं हुई.

सभी काम हो रहे थे मैन्युअली

हैकर्स के चोरी किए गए डेटाबेस में अस्पताल के मरीजों, डॉक्टरों, कर्मचारियों के पर्सनल डेटा शामिल हैं. इसके साथ ही अस्पताल का प्रशासनिक डेटा जैसे ब्लड डोनर रिकॉर्ड, एम्बुलेंस रिकॉर्ड, टीकाकरण रिकॉर्ड, देखभाल करने वाले रिकॉर्ड, लॉगिन क्रेडेंशियल आदि शामिल हैं.  ओपीडी और आईपीडी में सभी काम मैन्युअली हो रहे हैं. सर्वर डाउन होने की वजह से मरीजों का कम्‍प्‍यूटर से पर्चा बनना बंद हो गया था. मरीजों और एडमिन ऑफिस को इसके चलते काफी परेशानी उठानी पड़ी थी.