मॉनसून की सुस्ती से मुश्किल में खेती, बाजार की चाल पर भी दिखाई देगा असर
जून के महीने में जिस से मॉनसून की चाल सुस्त दिख रही है. मध्य और पश्चिम भारत में मॉनसून में ज्यादा देरी है. मध्य प्रदेश और गुजरात में मॉनसून 10 दिन की देरी से चल रहा है. इसका असर खरीफ सीजन की बुआई पर दिखाना शुरू हो गया है. सोयबीन, कपास और धान की बुआई में देरी हो रही है. दलहनी फसलों की बुआई भी पिछड़ रही है.
जून के महीने में जिस से मॉनसून की चाल सुस्त दिख रही है. मध्य और पश्चिम भारत में मॉनसून में ज्यादा देरी है. मध्य प्रदेश और गुजरात में मॉनसून 10 दिन की देरी से चल रहा है. इसका असर खरीफ सीजन की बुआई पर दिखाना शुरू हो गया है. सोयबीन, कपास और धान की बुआई में देरी हो रही है. दलहनी फसलों की बुआई भी पिछड़ रही है.
मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती सबसे ज्यादा होती है. इसलिए यहां बारिश की देरी का असर सोयाबीन पर जरूर पड़ेगा. पिछले साल के मुकाबले बुआई में 51 फीसदी तक की कमी आई है. हालांकि उत्तर भारत में खरीफ की बुआई जुलाई से शुरू होती है. फिर कुछ जगहों जैसे पंजाब और हरियाणा में धान की बुआई जून में ही शुरू हो जाती है. उम्मीद की जा रही है कि जुलाई में अच्छी बारिश होगी. इसलिए जून में कम बुआई की कमी को जुलाई में पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन कृषि विशेषज्ञ मान कर चल रहे हैं कि इससे फसल उत्पादन पर असर पड़ेगा.
बारिश तय करेगी सोयाबीन की बुआई
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के प्रमुख डीएन पाठक का कहना है कि अगले हफ्ते बारिश शुरू हो जाती है तो सोयाबीन की बुआई सामान्यतौर पर हो सकेगी. हां, अगर बारिश 7 जुलाई से भी ज्यादा देरी से होती है तो सोयाबीन के रकबे में कमी आ सकती है और बहुत से सोयाबीन किसान मक्के की खेती की तरफ चले जाएंगे. सोयाबीन में इस समय 3700 रुपये क्विंटल का भाव चल रहा है.
गुजरात में किसान का झुकाव कैस्टर की तरफ
पैराडाइम कमोडिटी के बीरेन वकील ने बताया कि गुजरात में कॉटन की बुआई अभी बहुत कम हुई है. अभी कुछ समय बाद सरकार खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य तय करेगी. सरकार की घोषणा के बाद ही किसान तय करेंगे कि किस फसल की खेती करने में उन्हें फायदा होगा. इस समय कैस्टर के दाम ऊंचे चल रहे हैं, किसानों का झुकाव कैस्टर की तरफ ज्यादा है.
गुजरात में किसानों का रुझान मूंगफली की तरफ की काफी बढ़ा है. क्योंकि मूंगफली का दाम इस समय 5,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है. इसलिए गुजरात के किसान अब कपास और कैस्टर के साथ मूंगफली के उत्पादन पर भी जोर दे रहे हैं. इसके अलावा चारे का दाम भी बढ़े हुए हैं. इसलिए मूंगफली की फसल को पशु चारे में भी इस्तेमाल करके मुनाफे को बढ़ाया जा सकता है. अगर मॉनसून में ज्यादा देरी होती है तो किसान कैस्टर की बुआई करेंगे. क्योंकि इसे पानी की कम जरूरत होती है.
बाजार रहेगा सुस्त
सोयाबीन की ट्रेडिंग पर ट्रस्टलाइन के राजीव कपूर की सलाह है कि अगर सोयाबीन में जुलाई वायदा में ट्रेड करना हो तो इस समय 3,664 का रेट चल रहा है और 3700 तथा 3720 में बिकवाली के लिए सही रहेगा. 3740 और 3750 का स्टॉप प्लस रख सकते हैं. बाजार अभी 3600 और 3580 तक स्तर पर जा सकता है. सोयाबीन से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है, इसलिए थोड़े बहुत उछाल पर बिकवाली करना सही रहेगा.