Cyrus Mistry Death: टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस पलोनजी मिस्त्री का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनका अंतिम संस्कार वरली शवदाह गृह में सुबह 11 बजे किया जाएगा. वरली शवदाह गृह 2015 में खुला था. तभी से बड़ी संख्या में मुंबई के पारसी समुदाय के लोग अपने दिवंगत परिजनों को 'टावर ऑफ साइलेंस' के ऊपर रखने के बजाय उनका दाह संस्कार कर रहे हैं. सायरस मिस्त्री की रविवार को मुंबई से 120 किलोमीटर दूर पालघर के पास सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. पारसी समुदाय का ऐसे होता है अंतिम संस्कार पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार का तरीका बिलकुल अलग है. वह ना तो हिंदुओं की तरह शव को जलाते हैं और ना ही वह ईसाई और मुस्लिम समुदाय की तरह शव को दफनाते हैं. जब भी पारसी समुदाय में किसी की मौत हो जाती है तो उनके शव को 'टावर ऑफ साइलेंस' के ऊपर रख दिया जाता है. जहां शव को गिद्ध और दूसरे परिंदे खाते हैं. पारसी समुदाय के लोग मरने के बाद शव को अशुद्ध मानते हैं. समुदाय का मानना होता है कि शव को आग से जलाने पर अग्नि तत्व अपवित्र हो जाते हैं या फिर उसे दफनाने से जमीन दूषित हो जाती है. इसके अलावा वह शव को नदी में भी नहीं बहाते हैं. इस से पानी खराब होने का खतरा होता है. 'टावर ऑफ साइलेंस' क्या है? टावर ऑफ साइलेंस वह जगह है जहां मरने के बाद पारसी समुदाय के शवों को ले जाया जाता है. वहां काफी ऊंचाई पर एक पक्का और गोलाकार ढांचा बना होता है. उसे टावर ऑफ साइलेंस कहते है. इस टावर को आसान भाषा में दखमा भी कहा जाता है. पारसी समुदाय में यह परंपरा है कि किसी के मरने के बाद उसके शव को उस जगह पर ले जाया जाता है. उसकी चोटी पर शव को रख दिया जाता है. यहां शव को सूरज की रोशनी में छोड़ दिया जाता है. इसके बाद शव को गिद्ध, चील और कौवे खा जाते हैं. पारसी समुदाय में मृत शरीर के अंतिम संस्कार का यह तरीका सबसे पवित्र माना जाता हैं. लेकिन अब  पारसी समुदाय के कुछ लोग हिंदू रीति रिवाजों से अंतिम संस्कार से करने लगे हैं.