सैनिटाइजर-मास्क महंगा मिलने की शिकायत करें यहां, तुरंत होगी कार्रवाई
कोरोनावायरस (Coronavirus) के कहर से बचने के उपाय के तौर पर इस्तेमाल हो रहे फेस मास्क (Face Mask) और हैंड सैनिटाइजर (Hand Sanitizer) को अब आवश्यक वस्तुओं (Essential Goods) की कैटेगरी में शामिल कर लिया गया है, लेकिन दोनों वस्तुएं बाजार से गायब हैं.
कोरोनावायरस (Coronavirus) के कहर से बचने के उपाय के तौर पर इस्तेमाल हो रहे फेस मास्क (Face Mask) और हैंड सैनिटाइजर (Hand Sanitizer) को अब आवश्यक वस्तुओं (Essential Goods) की कैटेगरी में शामिल कर लिया गया है, लेकिन दोनों वस्तुएं बाजार से गायब हैं. यहां तक की सरकार ने मास्क और सैनिटाइजर की अधिकतम खुदरा कीमतें भी तय कर दी हैं, लेकिन देश की राजधानी और आसपास के इलाकों में निर्धारित कीमतों पर ये दोनों वस्तुएं उपलब्ध नहीं हैं. जहां मिल भी रही हैं तो दोगुने-तिगुने दाम पर.
सरकार ने ऐसी किसी भी जमाखोरी, अफवाह की घटना को साझा करने के लिए एक WhatsApp हेल्पलाइन शुरू की है, जिस पर जानकारी दी जा सकती है. इस चैटबॉट को 'Mygov कोरोना हेल्पडेक्स' नाम दिया गया है और +91 9013151515 नंबर पर WhatsApp संदेश भेजकर इससे जुड़ा जा सकता है. यहां कोरोना वायरस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सभी सवालों के जवाब हैं.
उधर, भारतीय औषधि गठबंधन (IPA) ने भी कहा है कि वह अपने सदस्यों के साथ ही सरकार, भारत में विभिन्न दवा उद्योग संघों और दवा आपूर्ति श्रृंखला के अन्य भागीदारों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रहा है कि भारत और विदेश में मरीजों को लगातार दवाएं मिलती रहें.
संगठन ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय दवा संघों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के स्विट्जरलैंड स्थित मुख्यालय और भारत स्थित कार्यालय के साथ लगातार नजदीकी के साथ मिलकर काम कर रहा है. संगठन ने कहा है कि वह अमेरिका, यूरोप और कई अन्य देशों के संघों के साथ संपर्क में है और दवाओं की आपूर्ति पर किसी भी संभावित प्रभाव पर नजर रखे हुये है. वक्तव्य में कहा गया है कि आईपीए भारत और दुनियाभर में बीमारों को उच्च गुणवत्ता की दवायें उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्व है.
इस बीच, देश में बड़े स्तर पर ड्रग या दवाओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 14,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है. इससे देश में सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक (API) के उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा. इस फैसले से हमारी चीन से आयात निर्भरता भी कम हो सकेगी.
कोरोनावायरस के प्रकोप से भारत में थोक दवाओं और एपीआई के आयात पर पूरी तरह रोक लग गई है. इससे यह डर पैदा हो गया है कि अगर महामारी की समयसीमा और भी लंबी खिंच गई तो देश में दवाओं की कमी हो सकती है.