महामारी कोरोना वायरस (Covid-19) से जुड़ी कई बातें सामने आ रही हैं. अच्छी बात यह है कि पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमितों की संख्या का रेट काफी कम हुआ है. देश के 59 जिलों में 14 दिन से कोई केस नहीं आया है. देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry), कृषि मंत्रालय, गृह मंत्रालय (Home Ministry) और ICMR ने कुछ नए तथ्य और आंकड़े सामने रखें हैं.

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100 में से 80 मरीजों में नहीं दिखते लक्षण

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक सामने आए संक्रमितों में से 80 फीसदी मामले ऐसे हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं. मतलब 100 में से 80 मरीजों में लक्षणों का पता ही नहीं चला. देश में कोरोना का संक्रमण अब भी फैल रहा है और हर दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोरोना के 80 फीसदी मामलों में संक्रमण नहीं दिखना चौंकाने और चिंता करने वाली बात है. अगर ऐसा है तो यह समझ पाना आम आदमी के लिए काफी मुश्किल है कि वो कोरोना संक्रमित है या नहीं. 

मुश्किल है संक्रमण का पता लगाना

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डॉक्टर रमन आर गंगाखेडकर के मुताबिक, 80 फीसदी मामलों में लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में संक्रमितों की पहचान करना सबसे मुश्किल काम है. वैज्ञानिकों ने बताया कि सभी का टेस्ट करना असंभव है. लोगों की इम्यूनिटी मजबूत होने के कारण वायरस का संक्रमण होता है तो उनके शरीर की इम्यूनिटी शरीर को प्रभावित नहीं होने देती और इंसान को सामान्य लगता है, लेकिन खतरनाक बात ये है कि इस दौरान ये लोग दूसरों को कोरोना से संक्रमित कर सकते हैं.

एक चूक फेर देगी पानी

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 2400 से ज्यादा लोग स्वस्थ हुए. मामलों का डबलिंग रेट जो लॉकडाउन से पहले 3.7 था. वह बीते 7 दिन में बढ़कर 7.4 हो गया है. ओडिशा और केरल जैसे राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले काफी कम हुए हैं. एक ऐसी बीमारी से लड़ने में एक चूक भी पूरी मेहनत पर पानी फेर देगी.

लक्षण नहीं दिखने पर टेस्ट कैसे होगा

लव अग्रवाल के मुताबिक, उत्तराखंड का पौड़ी गढ़वाल देश का तीसरा ऐसा जिला बना है, जहां पिछले 28 दिन से कोई केस नहीं मिला है. गोवा में भी सभी मरीज ठीक हो चुके हैं और अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. अगर 100 लोगों को संक्रमण हुआ है तो 80 में लक्षण नहीं दिखते. अगर उनका कभी टेस्ट होता है तो वे पॉजिटिव आते हैं.

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लक्षण नहीं दिखने पर पॉजिटिव आने की संभावना कम

लव अग्रवाल के मुताबिक, अभी तक इस बीमारी की कोई दवा नहीं बनी है. इसकी एक ही वैक्सीन है-सोशल डिस्टेंसिंग. यह नई बीमारी है और इसे समझने की जरूरत है. क्योंकि, कुछ टेस्ट की भी अपनी सीमाएं हैं. गाइड लाइन बदलने के सवाल पर ICMR ने कहा कि अगर लक्षण नहीं दिखेंगे तो टेस्ट के पॉजिटिव आने की भी संभावना काफी कम होगी. इसलिए सभी का टेस्ट करना अभी शायद सही नहीं होगा.