बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया अगले चार साल में पूरी तरह समाप्त हो जाएगा. केंद्रीय बिजली मंत्री आर. के. सिंह ने ये उम्मीद जताई है. बताते चलें कि डिस्कॉम पर जेनको का बकाया हमेशा एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है. सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों पर उत्पादकों के कुल बकाया को समान मासिक किस्त (ईएमआई) में बांट दिया है. ये मासिक किस्तें अधिकतम चार साल की अवधि की हैं. ऐसे में डिस्कॉम पर कुल बकाया 2026 तक शून्य हो जाएगा.

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केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह ने पीटीआई के साथ बातचीत करते हुए कहा, ''अभी बिजली वितरण कंपनियों पर जेनको का कुल बकाया 1,13,000 करोड़ रुपये है.'' उन्होंने कहा कि सरकार ने बिजली क्षेत्र के लिए एक काफी तेजतर्रार भुगतान सुरक्षा तंत्र बनाया है. उन्होंने कहा कि बिजली मंत्रालय ने देरी से भुगतान के लिए विद्युत (विलंब भुगतान अधिभार) अधिनियम-2022 लागू किया है. इन नियमों के तहत यदि डिस्कॉम द्वारा देरी के लिए अधिभार का भुगतान नहीं किया जाता है, तो वे बिजली एक्सचेंजों से आपूर्ति नहीं ले पाएंगी.

13 राज्यों के डिस्कॉम के बिजली कारोबार पर रोक लगाने का दिया था निर्देश

इससे पहले इसी साल अगस्त में सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली प्रणाली परिचालन निगम (पोसोको) ने तीन बिजली एक्सचेंजों आईईएक्स, पीएक्सआईएल और एचपीएक्स को देरी से भुगतान के लिए सरचार्ज नहीं चुकाने पर 13 राज्यों की 27 डिस्कॉम को बिजली कारोबार रोकने को कहा था.

पोसोको ने इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स), पावर एक्सचेंज ऑफ इंडिया (पीएक्सआईएल) और हिंदुस्तान पावर एक्सचेंज (एचपीएक्स) को 13 राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों के बिजली कारोबार पर रोक लगाने का निर्देश दिया था. इनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और बिहार की बिजली वितरण कंपनियां शामिल हैं.

भुगतान नहीं करने पर रोक दी जाएगी बिजली की सप्लाई

मंत्री ने कहा कि डिस्कॉम द्वारा अपनी छोटी अवधि की मांग को पूरा करने के लिए एक्सचेंजों से भी बिजली खरीदी जाती है. उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने भुगतान नहीं करने की स्थिति में डिस्कॉम के लंबे समय वाले बिजली सप्लाई पर रोक लगाने की भी व्यवस्था की है. ये आपूर्ति वे जेनको के साथ बिजली खरीद करार (पीपीए) के तहत प्राप्त करती हैं.

आमतौर पर डिस्कॉम का बिजली आपूर्ति के लिए जेनको के साथ 25 साल के लिए लंबे समय का करार होता है. आर. के. सिंह ने कहा कि अब हमने स्पष्ट कर दिया है कि यदि डिस्कॉम भुगतान नहीं करेंगी तो पीपीए के तहत उनकी लंबी अवधि वाली बिजली सप्लाई राष्ट्रीय ग्रिड से प्रत्येक 30 दिन के बाद 10 प्रतिशत घट जाएगी.