Budget 2025: जब अंग्रेजों की गुलामी कर रही इस परंपरा पर मोदी सरकार ने चलाया था हथौड़ा, इतना पुराना है इतिहास
मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट पेश करने जा रही है. इस बार के बजट में सरकार के सामने कई सारी चुनौतियां होंगी. उन समस्याओं से सरकार कैसे निपटती है. यह 1 फरवरी 2025 को पता पड़ेगा, लेकिन अभी तक सरकार ने बजट से जुड़ी परंपराओं में क्या बदलाव किया है. यह आज जानेंगे.
मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट पेश करने जा रही है. इस बार के बजट में सरकार के सामने कई सारी चुनौतियां होंगी. उन समस्याओं से सरकार कैसे निपटती है. यह 1 फरवरी 2025 को पता पड़ेगा, लेकिन अभी तक सरकार ने बजट से जुड़ी परंपराओं में क्या बदलाव किया है. यह आज जानेंगे. केंद्र सरकार ने 2017 में बजट की तारीख 1 फरवरी करने के साथ-साथ रेल बजट को आम बजट में शामिल कर दिया, जिससे 92 साल पुरानी परंपरा समाप्त हो गई.
पहली बार 1924 में पेश हुआ रेल बजट
भारतीय रेल बजट की शुरुआत 1924 में हुई, जब 10 सदस्यीय एक्वर्थ समिति की सिफारिश पर इसे आम बजट से अलग किया गया. ब्रिटिश अर्थशास्त्री विलियम मिशेल एक्वर्थ की अध्यक्षता वाली इस समिति ने रेलवे के वित्तीय प्रदर्शन को सुधारने के उद्देश्य से इस बजट को अलग करने की सिफारिश की थी. तब से यह बजट हर साल आम बजट से दो दिन पहले पेश किया जाता था.
भारतीय रेल बजट से जुड़े तथ्य
- 24 मार्च 1994 को पहली बार रेल बजट का सीधा प्रसारण हुआ.
- ममता बनर्जी 2002 में रेल बजट पेश करने वाली पहली महिला रेल मंत्री बनीं.
- लालू प्रसाद यादव ने 2004 से 2009 तक लगातार छह बार रेल बजट पेश किया.
- 2016 में सुरेश प्रभु ने अंतिम बार रेल बजट पेश किया.
- 1986 में दिल्ली के रेलवे सूचना प्रणाली (सीआरआईएस) ने पहली बार आरक्षण प्रणाली शुरू की.
2017 में हुआ बदलाव
2017 में रेल बजट को आम बजट में शामिल करने का निर्णय लिया गया. इसके पीछे सरकार का उद्देश्य रेलवे के विकास के लिए समेकित दृष्टिकोण अपनाना और बजट प्रक्रिया को सरल बनाना था. यह भारतीय बजट प्रणाली के 92 साल के इतिहास में पहली बार हुआ, जब रेल बजट अलग से पेश नहीं किया गया.
भारतीय रेल देश के लिए कितना अहम?
भारतीय रेल देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम है, जो 14 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है. 16 अप्रैल 1853 को पहली यात्री ट्रेन मुंबई और ठाणे के बीच चलाई गई थी. आज भारतीय रेल न केवल देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि इसके इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा भी है. रेल बजट का समापन न केवल एक परंपरा का अंत था, बल्कि यह बदलते भारत की नई आर्थिक प्राथमिकताओं का प्रतीक भी है.