सरकार को आने वाले 2024 के बजट में स्मार्टफोन बनाने में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती नहीं करनी चाहिए. मौजूदा ड्यूटी अभी तक सफल साबित हुई है और उसे बदलने से स्थानीय विनिर्माण (Local Manufacturing) को नुकसान हो सकता है. GTRI की एक रिपोर्ट में सोमवार को यह बात कही गई. आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के मुताबिक, मौजूदा दरों को बनाए रखने से भारत के बढ़ते स्मार्टफोन बाजार में उद्योग की वृद्धि तथा दीर्घकालिक विकास को संतुलित करने में मदद मिलेगी. 

फिलहाल कितना लगता है आयात शुल्क?

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रिपोर्ट में कहा गया, मौजूदा वक्त में भारत में स्मार्टफोन के आयातित घटकों पर शुल्क 7.5 फीसदी से 10 फीसदी के बीच है. बजट में इन टैक्स को बरकरार रखा जाना चाहिए. बजट में स्मार्टफोन बनाने में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती नहीं की जानी चाहिए. वित्त मंत्री सीतारमण एक फरवरी को 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करेंगी. 

क्यों न घटाएं इंपोर्ट ड्यूटी

GTRI के को-फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट के लिए आवश्यक कच्चे माल या पूंजीगत सामान शुल्क-मुक्त आयात कर सकती हैं. ये एडवांस ऑथराइजेशन, एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स जैसी योजनाओं और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) या 100 प्रतिशत निर्यात उन्मुख इकाइयों में संचालन के जरिए मुमकिन हो पाया है. इसके अलावा कंपनियां स्थानीयकरण आवश्यकताओं के बिना शुल्क-मुक्त आयात के लिए सीमा शुल्क बांड योजना का इस्तेमाल कर सकती हैं. 

98% स्मार्टफोन मेड इन इंडिया

GTRI ने रिपोर्ट में कहा, भारत का स्मार्टफोन उद्योग 2022 में 7.2 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023 में 13.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने के साथ पीएलआई (उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन) योजना तहत सबसे बेहतर करने वाला क्षेत्र बन गया है. भारत में बेचे जाने वाले 98 प्रतिशत से अधिक स्मार्टफोन स्थानीय स्तर पर बनाए जाते हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के स्मार्टफोन विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि और गहराई को बनाए रखने के लिए मौजूदा आयात शुल्क को बनाए रखना महत्वपूर्ण है.