Tatya tope 2021: देश में आजादी का बिगुल फूंकने वाले कई बड़े नामों में एक और नाम तात्या टोपे का भी है, जिन्होंने देश में न सिर्फ 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी बल्कि पूरे देश में आजादी की चेतना का सूत्रपात किया और गुलामी को अपनी नियती मान चुकी पूरे देश की जनता को यह बताया कि आजादी क्या होती है और उसे हासिल करना कितना जरूरी है.

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बहुत कम लोगों को मालूम है कि तात्या टोपे का असली नाम रामचंद्र रघुनाथ टोपे था. इसके अलावा देश और दुनिया के इतिहास में 18 अप्रैल के दिन कई महत्‍वपूर्ण घटनाएं हुईं. जिनमें जाने-माने वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का निधन शामिल है.

तात्या टोपे आजीवन अविवाहित थे. उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में अंग्रेजों के खिलाफ करीब 150 युद्ध पूरी वीरता के साथ लड़े थे. इस दौरान युद्ध में उन्होंने करीब 10 हजार सैनिकों को मार गिराया था.

तात्या टोपे को बचपन से ही युद्ध और सेनानी कार्यों में अधिक रूचि थी, चूंकि पिताजी पेशवा बाजीराव के यहां पर बड़े पद पर आसीन थे. लेकिन बाजीराव द्वितीय को अंग्रेजों से युद्ध में हार का सामना करना पड़ा और अपना राज्य, क्षेत्र छोड़कर जाना पड़ा. इसके बाद वह उत्तर प्रदेश के कानपुर बिठूर में जाकर बस गए. उन्हीं के पीछे-पीछे तात्या टोपे का परिवार भी बिठूर में जाकर बस गया.

तात्या टोपे का असली नाम रामचंद्र पांडुरंग राव था, लेकिन सभी प्यार से उन्हें तात्या कहकर पुकारते थे. इस नाम के पीछे दो कहानी है. पहली वह किसी तोपखाने में नौकरी करते थे इसलिए उन्हें टोपे कहा जाने लगा था. दूसरी कहानी है बाजीराव द्वितीय ने उन्हें एक बेशकीमती टोपी थी, जिसे वह बड़े ठाठ-बाट के साथ पहनते थे. हालांकि किसी पर रौब नहीं जमाते थे। लेकिन इस टोपी के बाद से उन्हें तात्या टोपे कहा जाने लगा.

तात्या टोपे दिमाग से बहुत तेज थे. वह हर युद्ध की रणनीति बखूबी तरीके से बनाते थे. हालांकि कई बार उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा लेकिन वह कभी अंग्रेजों के चुंगल में नहीं फंसे. अंग्रेजी लेखक रहे सिलवेस्टर ने लिखा कि, ‘तात्या टोपे का हजारों बार पीछा किया लेकिन वह कभी किसी के हाथ नहीं आए. कभी तात्या टोपे को पकड़ने में सफलता हासिल नहीं हुई.

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