Air Pollution से हर साल 70 लाख लोग गंवाते हैं जान, केवल एक प्रतिशत लोग ले रहे हैं शुद्ध हवा में सांस
Air Pollution kills 70 lakh people per year: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आज जो डाटा जारी किया है उसके मुताबिक दुनिया में एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग पिछले 10 सालों में 6 गुना बढ़ी है.
Air Pollution kills 70 lakh people per year: वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य सगठंन (World Health Organization) ने सोमवार चार अप्रैल को एक डाटा जारी किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आज जो डाटा जारी किया है उसके मुताबिक दुनिया में एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग पिछले 10 सालों में 6 गुना बढ़ी है.
कई देशों ने एयर क्वालिटी की निगरानी करने पर काम किया है. मॉनिटरिंग स्टेशन लगाए हैं, लेकिन इससे एयर पॉल्यूशन कम नहीं हुआ. यानी अब दुनिया के 6 हज़ार शहरों को पता है कि उनके शहर की हवा में ज़हर की मात्रा कितनी है लेकिन उसे सुधारने के लिए वो कुछ कर नहीं पाए. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण पर अब तक का सबसे बड़ा डाटा जारी किया है. WHO के मुताबिक हर साल प्रदूषण से 70 लाख लोगों की जान चली जाती है.
WHO ने इस तरह तैयार की है रिपोर्ट
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए WHO ने सभी देशों से पीएम 10 और पीएम 2.5 . यानी Particulate matter हवा में मौजूद धूल के कणों का डाटा मांगा था. नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर 2017 के डाटा के आधार पर नापा गया है. पहली बार ये आंका गया है कि nitrogen dioxide (NO2) का औसत स्तर ज़मीन पर कितना रहा है. आमतौर पर इनडोर एयर pollution में इस गैस की मात्रा ज्यादा होती है.
इस वजह से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण का खतरा
nitrogen dioxide (NO2) नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शहरों की प्रदूषित हवा में बहुत ज्यादा मौजूद रहता है. ये जहरीली गैस ही PM 10 और PM 2.5 के बढ़ने का एक बड़ा कारण बनती है और इसी की वजह से पर्यावरण में मौजूद ओज़ोन की परत भी कमज़ोर पड़ रही है. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस कोयला, तेल, डीज़ल और दूसरी गैसों के तेज़ तापमान पर जलने की वजह से बनती है.
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शरीर के लिए बेहद हानिकारक है वायु प्रदूषण
nitrogen dioxide (NO2) नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के ज्यादा बनने से फेफड़ों में सूजन होती है. सांस की नलियां सूज जाती हैं. खांसी और अस्थमा की समस्या बढ़ सकती है और फेफड़ों के काम करने की क्षमता कम हो जाती है. इसी तरह से पार्टिकुलेट मैटर यानी हवा में मौजूद धूल के कणों से भी बहुत नुकसान होता है. गाड़ियों का धुंआ, पावर प्लांट, खेती से निकलने वाला वेस्ट, इंडस्ट्री से निकलने वाला धुंआ – ये सब मिलकर किसी भी शहर की हवा को जहर बनाने का काम करते है.
हवा को जहर बनाने के लिए जिम्मेदार हैं ये चीजे
गाड़ियों का धुंआ, पावर प्लांट, खेती से निकलने वाला वेस्ट, इंडस्ट्री से निकलने वाला धुंआ – ये सब मिलकर किसी भी शहर की हवा को जहर बनाने का काम करते है. इसी को आप PM 10 और pm 2.5 के नाम से जानते हैं. धूल के ये कण इतने बारीक होते हैं कि फेफड़ों में और यहां तक कि खून में भी घुल जाते हैं. इन कणों के शरीर में जमा होने से दिल की बीमारियां, ब्रेन स्ट्रो और सांस की गंभीर बीमारियां होती हैं.
117 देशों के 6743 शहरों से लिया गया डाटा
विश्व स्वास्थय संगठन ने ये डाटा 117 देशों के 6743 शहरों से लिया है. इन शहरों की कुल आबादी लगभग नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का डाटा 74 देशों के 3976 शहरों से मिल पाया है. हालांकि सबसे ज्यादा डाटा एकत्र करने वाले देश चीन, भारत, उत्तरी अमेरिका और यूरोप हैं. सबसे कम पीएम यूरोप में पाया गया जबकि सबसे कम nitrogen dioxide (NO2) अमेरिका में पाया गया.