Soybean Price: सोयबीन की कीमतों में तेजी के आसार कम, मांग घटने और सप्लाई बढ़ने से 750 रुपये लुढ़क सकता है भाव
Soybean Price: सोयाबीन की पर्याप्त सप्लाई और सीपीओ की कीमतों में कमजोरी को देखते हुए वैश्विक बाजार में सोयाबीन की कीमतों में ज्यादा तेजी के आसार कम हैं.
Soybean Price: मांग के मुकाबले पर्याप्त सप्लाई और चालू खरीफ सीजन (kharif Season) में बुआई बढ़ने की वजह से आने वाले दिनों में सोयाबीन की कीमतों में कमजोरी का रुझान बना रह सकता है. आगामी समय में सोयाबीन का भाव लुढ़ककर 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर तक आ सकता है यानी मौजूदा भाव 6,250 रुपये से कीमतों में 750 रुपये की गिरावट आ सकती है. ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण तत्संगी के मुताबिक आगामी हफ्तों में देश की सोयाबीन की प्रमुख मंडी इंदौर में सोयाबीन का भाव 6,000 रुपये से 6,583 रुपये के दायरे में कारोबार करेगा.
उनका कहना है कि मौजूदा स्तर से सोयाबीन का भाव 6,000 रुपये तक लुढ़कने के बाद 5,500 रुपये के निचले स्तर को भी छू सकता है. हालांकि उनका मानना है कि सोयाबीन की कीमतों में सकारात्मक रुझान तभी आएगा जब भाव ट्रेंड रिवर्सल प्वाइंट यानी टीआरपी- 6,583 रुपये के ऊपर पहुंच जाए. उनका कहना है कि अगर सोयाबीन की आगामी नई फसल के दाम की बात करें तो भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर खुल सकता है.
मौजूदा हालात में सोयाबीन में ज्यादा तेजी के आसार कम
बता दें कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के द्वारा मौद्रिक नीति में नरम रुख अपनाने और अमेरिका में सोयाबीन उत्पादक राज्यों में सामान्य के मुकाबले ज्यादा गर्म तापमान की वजह से सकारात्मक रुझान बनने से बीते 7 दिन में वैश्विक मार्केट में रिलीफ रैली देखने को मिली है. हालांकि तरुण का मानना है कि सोयाबीन की पर्याप्त सप्लाई और सीपीओ की कीमतों में कमजोरी को देखते हुए वैश्विक बाजार में सोयाबीन की कीमतों में ज्यादा तेजी के आसार कम हैं. तरुण कहते हैं कि फसल खराब होने की खबरों से घरेलू बाजार में सोयाबीन को कुछ सपोर्ट मिला है लेकिन फसल को कितना नुकसान हुआ है अभी यह कहना जल्दबाजी होगी. वहीं सरकार के ताजा बुआई के आंकड़ों के मुताबिक सोयाबीन की फसल की प्रगति अच्छी है. सोयाबीन की फसल की वास्तविक स्थिति अगस्त के आखिर में स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन अभी चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि किसान क्षतिग्रस्त क्षेत्र में फिर से बुआई शुरू कर चुके हैं.
कमजोर मांग से भी भाव पर दबाव की आशंका
क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी ऑयल पर आयात शुल्क को खत्म करने, इंडोनेशिया और मलेशिया से सीपीओ और पामोलीन की ज्यादा सप्लाई की उम्मीद, मिलर्स और स्टॉकिस्ट की ओर से सोयाबीन और सरसों की कमजोर मांग और सूरजमुखी ऑयल के आयात में बढ़ोतरी अभी भी सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के लिए वैध कारण हैं. वहीं नकारात्मक क्रश मार्जिन की वजह से मौजूदा भाव पर सोयाबीन और सरसों की पेराई की गतिविधि तर्क संगत नहीं है.
हफ्ते के आखिर में होने वाली बारिश फसल के लिए अच्छी
सप्ताह के आखिर में भारी बारिश के बजाय न्यूनतम से लेकर छिटपुट साप्ताहिक बारिश होने का अनुमान है. भारी बारिश के बाद होने वाली यह हल्की बारिश सोयाबीन की फसल के लिए अच्छी है क्योंकि खेतों का पानी अवशोषित हो जाएगा.
सोयाबीन की बुआई में इजाफा
31 जुलाई 2022 तक देशभर में सोयाबीन की बुआई 114.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2.5 फीसदी और पिछले 5 साल की समान अवधि की सामान्य क्षेत्रफल के औसत से 13.7 फीसदी ज्यादा है.