LXME Women & Money Power 2022 report: महिलाओं के लिए भारत के पहले वित्तीय मंच लक्ष्मी (LXME) ने अपनी वीमन एंड मनी पॉवर 2022 रिपोर्ट जारी की है. इसमें बताया गया है कि भारत में 33 फीसदी महिलाएं बिल्कुल भी निवेश नहीं करती हैं. इतना ही नहीं, 21-25 साल के आयु समूह की महिलाओं में यह संख्‍या काफी ज्यादा है और इसका प्रतिशत 40 फीसदी है. खास बात ये है कि देश में कुल 55 फीसदी महिलाएं या तो निवेश नहीं कर रहीं, ये वो निवेश जैसी प्रक्रिया से अनजान हैं.

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भारत की अग्रणी उपभोक्ता डेटा इंटेलिजेंस कंपनी ऐक्सिस माई इंडिया के सहयोग से यह सर्वे किया गया. महानगरों, टियर 2 और 3 शहरों में इस सर्वेक्षण को विभिन्न आयु समूहों, जीवन चरणों और व्यवसायों में 4,000 महिलाओं के बीच यह सर्वे किया गया. रिपोर्ट से पता चलता है कि पैसों के मामले में महिलाएं कहां खड़ी हैं. और साथ ही यह उनकी वित्तीय जागरूकता, बचत और निवेश के प्रति नजरिया, पैसों को लेकर निर्णय लेने के बारे में अंतर्दृष्टि (insight) प्रदान करता है. वहीं इससे निर्णय लेने में भागीदारी के लिए प्रमुख बाधाओं का भी पता चलता है.

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बचत और खर्च संबंधी आदतें

बचत करने के मामले में महिलाओं का कोई सानी नहीं है. हालांकि, लक्ष्मी की रिपोर्ट बताती है कि 78 फीसदी महिलाएं अपनी आय का 20 फीसदी से भी कम बचाती हैं. वहीं 56 फीसदी महिलाएं 10 फीसदी से कम बचत करती हैं. वहीं 14 फीसदी महिलाएं कोई पैसा नहीं बचाती. इसका मतलब है कि बहुमत आबादी अपनी आय का कम से कम 20% बचाने के मानक का पालन नहीं कर रही है.

कामकाजी और गैर-कामकाजी महिलाओं के बीच बचत की आदतों को अलग करने पर, रिपोर्ट में पाया गया कि 45% कामकाजी महिलाओं की तुलना में 50% गैर-कामकाजी ने अपनी घरेलू आय के मुकाबले 6-20% के बीच बचत की. हालांकि, 13% गैर-कामकाजी महिलाओं की तुलना में 31% कामकाजी महिलाओं ने अपनी आय का 20% से अधिक बचाया. खर्च करने की आदतों में, टॉप तीन श्रेणियां जहां महिलाएं सबसे अधिक खर्च करती हैं, वे हैं किराने का सामान, बाल शिक्षा फीस और व्यक्तिगत खरीदारी.

वित्तीय जागरूकता की जरूरत

लक्ष्मी की रिपोर्ट महिलाओं के बीच स्वतंत्र निवेश निर्णय लेने के लिए उनके बीच वित्तीय जागरूकता बढ़ाने की एक मजबूत आवश्यकता का सुझाव देती है. 63% महिलाओं को अधिकांश वित्तीय शर्तों को समझना मुश्किल लगता है. कुल मिलाकर 55% महिलाएं निवेश के बारे में सोच-समझकर निर्णय नहीं ले रही थीं. जबकि 33 फीसदी महिलाएं निवेश नहीं कर रहीं थीं. वहीं 22 फीसदी अपने नाम पर किए गए निवेश को लेकर अनजान थीं.

इस सर्वे में शामिल 38% ने महिलाओं ने कहा कि उन्होंने सहायता के साथ निवेश किया और इनमें से 76% ने अपने भागीदारों और परिवार से सहायता ली. यह वित्तीय मामलों में महिलाओं के बीच परिवार और भागीदारों पर एक प्रमुख निर्भरता को उजागर करता है.

सिर्फ 7% महिलाएं स्वतंत्र रूप से करती हैं निवेश 

केवल 7% महिलाएं स्व-शिक्षा के माध्यम से स्वतंत्र रूप से निवेश कर रही हैं. महानगरों के विपरीत गैर-महानगरों में यह संख्या दिलचस्प रूप से अधिक थी, जो गैर-मेट्रो शहरों में महिलाओं से सीखने के इरादे का संकेत देती है. इस अंतर्दृष्टि का समर्थन करने वाला एक अन्य आंकड़ा यह था कि गैर-महानगरों में 51% महिलाएं निवेश के बारे में पूरी समझदारी से निर्णय ले रही थीं. जबकि महानगरों में 41% महिलाएं ऐसा कर रही थीं.

वित्तीय नियोजन को जीवन कौशल के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए और जितनी जल्दी महिलाएं अपने पैसों का प्रबंधन करना शुरू कर देंगी, यह उनके भविष्य के लिए उतना ही बेहतर हैं. यह इसलिए बहुत जरूरी है क्योंकि अध्ययन से पता चलता है कि 21-25 आयु वर्ग में 40% महिलाएं औसत से अधिक निवेश नहीं कर रही थीं.

अधिकांश महिलाओं ने अपनी आय का केवल 6-10 प्रतिशत ही निवेश किया. यह मुख्य रूप से जानकारी के अभाव के कारण निवेश से संबंधित आशंकाओं की वजह से हुआ. बड़े पैमाने पर 92% महिलाओं ने खुलासा किया कि वे किसी भी वित्तीय निवेश से संबंधित वेबसाइटों का रुख नहीं करती हैं.

एक और गलत आशंका यह है कि निवेश अमीरों के लिए है और सर्वे में इस आशंका की पुष्टि हुई. 39% महिलाओं ने कम फंड को निवेश न करने का कारण बताया. इसके बाद 12% ने वित्तीय जागरूकता की कमी और 10% को बचत खोने का डर रहा.

निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी वित्तीय निवेश और घर, कार या कुछ और खरीदने जैसे उच्च खरीद निर्णयों के मामलों में औसत रही, जबकि आवश्यक घरेलू वस्तुओं की खरीद, बच्चों की शिक्षा और छुट्टियों की योजना बनाने में महिलाओं की उच्च भागीदारी थी.

महिला निवेश रुझान

एक चौंकाने वाली बात यह रही कि दो साल की महामारी के बावजूद 59% महिलाओं का कोई बीमा (जीवन या स्वास्थ्य) नहीं था. महिलाओं द्वारा पसंद किए जाने वाले निवेश साधनों में, गोल्ड और एफडी क्रमश: 42% और 35% के साथ सूची में सबसे ऊपर हैं. इसके बाद साथ पीपीएफ (23%) और चिट फंड (17%) जैसे पारंपरिक साधन हैं. भारत में महिलाएं स्पष्ट रूप से बाजार आधारित निवेश से दूर भाग रही हैं.

म्युचूअल फंड में 14% और शेयरों में सिर्फ 10% महिलाओं का निवेश है. कुल मिलाकर, केवल 13% महिलाएं वित्तीय परिसंपत्तियों में निवेश करती हैं, जबकि 35% महिलाएं पारंपरिक साधनों में निवेश करती हैं. निवेश के लिए अपनी आय आवंटित करने के मामले में, गैर-महानगरों की कुल 9% महिलाएं अपनी आय का 20-30% के बीच निवेश करती हैं. वहीं महानगरों की केवल 5% महिलाएं ऐसा करती हैं. महानगरों की 23% महिलाएं अपनी आय का 6-10% निवेश करती हैं. गैर-महानगरों की बात करें तो 17% महिलाएं निवेश करती हैं. गैर-महानगरों में महिलाएं अपनी आय का अधिक और ज्यादा स्वतंत्र रूप से निवेश कर रही हैं.