बात साल 2022 की है. तब मशहूर कार निर्माता कंपनी 'फोर्ड' ने घोषणा की थी कि वह भारत में अपने व्यापार को बंद कर रही है. यह भारत की महत्वाकांक्षी 'मेक इन इंडिया' योजना के लिए बड़ा झटका माना गया था. फोर्ड ने कहा कि पिछले 10 साल में उसे दो अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है. 2019 में कंपनी को 80 करोड़ भारतीय रुपए का भारी-भरकम नुकसान उठाना पड़ा था. फोर्ड को उस समय कड़ी प्रतिस्पर्धा और कोविड-19 महामारी के दौरान मांग में आई कमी के कारण भारत छोड़ना पड़ा था.

2017 में जनरल मोटर्स ने अपना कारोबार समेटा था

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इससे पहले 2017 में जनरल मोटर्स ने भी भारत में अपने कारोबार को समेट लिया था. 2020 में हार्ले डेविडसन ने भी भारत में अपना कारोबार समेट लिया था. इससे पहले 2014 में यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी रिटेल चेन कारफू ने भी भारत में अपने सभी कैश एंड कैरी स्टोर्स को बंद करके देश में अपना कारोबार बंद करने का ऐलान किया था. चेन कारफू ने यह फैसला अपनी कारोबारी महत्वाकांक्षाओं को उड़ान देने में असफल रहने के बाद उठाया था. 

वालमार्ट, IKEA जैसी कई कंपनियों ने समेटा कारोबार

इसके अलावा Walmart, कैश ऐंड कैरी प्रारूप में कारोबार करने वाली एक अन्य कंपनी 'METRO Wholesale', स्वीडन की बड़ी फर्निशिंग कंपनी IKEA जैसी कंपनियों ने भारत में या तो अपना कारोबार समेट लिया या उन्हें यहां कारोबार करने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ा था. लेकिन 2024 आते-आते स्थिति पूरी तरह बदल गई. जो कंपनियां भारत छोड़कर गई थी, वह फिर से भारतीय बाजार में अपना निवेश करके यहां व्यापार करने को बेताब हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि देश की तेज आर्थिक वृद्धि दर और आर्थिक सुधारों की वजह से बदले हालात के कारण निवेश परिदृश्य करवट ले रहा है. 

Ford ने भारत में लौटने का फैसला किया है

पिछले सप्ताह दिग्गज कार निर्माता कंपनी Ford ने ऐलान किया है कि वह फिर से भारत में कारोबार करेगी. कंपनी तमिलनाडु में चेन्नई के मरैमलाई संयंत्र में पुन: उत्पादन शुरू करेगी. इसके अलावा अमेरिका की एक और दिग्गज कंपनी Harley Davidson ने पिछले साल ही भारत में वापस लौटने का फैसला किया था. तब कंपनी ने स्वदेशी कंपनी हीरो मोटोकॉर्प के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम में निवेश के साथ दोबारा भारतीय बाजार में कदम रखा था. चीन की दिग्गज फैशन कंपनी 'शेन' ने भी रिलायंस रिटेल के साथ साझेदारी करके भारत में दोबारा कदम रख दिया है.

भारत बड़ा उपभोक्ता बाजार

साथ ही कारफू ने भी भारत में दोबारा लौटने का ऐलान कर दिया है. कंपनी का भारत में फिर से निवेश अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी 2026 विकास योजना का अहम हिस्सा है. वालमार्ट पहले ही फ्लिपकार्ट की खरीद के जरिए भारतीय बाजार में पैठ बना चुकी है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का दुनिया में सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार, अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि और सरकार की आर्थिक सुधार रणनीति की वजह से विदेशी निवेशकों वापस लौट रहे हैं. 

Apple, सैमसंग अपना-अपना यूनिट लगा चुकी हैं

भारत का व्यापक क्षेत्रफल और इसकी तेज आर्थिक वृद्धि दर विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का मुख्य कारण है. अमेरिका की दिग्गज मोबाइल कंपनी Apple और दक्षिण कोरिया की कंपनी SAMSUNG भारत में अपने- अपने संयंत्र को स्थापित कर चुकी हैं. यह संयंत्र पहले चीन में हुआ करते थे. विशेषज्ञ इसकी भी सबसे बड़ी वजह देश की खपत और बढ़ती अर्थव्यवस्था को ही मानते हैं.