मौसम विभाग की तरफ से हर मौसम में अलर्ट जारी किए जाते हैं. यह गर्मी, सर्दी या बाढ़ की स्थिति को देखते हुए जारी किए जाते हैं. मौसम से संबंधित होने वाली दिक्कतों के आधार पर अलर्ट जारी किया जाता है. क्या आपको पता है कि मौसम के बारे में सचेत करने के लिए भी कुछ चुनिंदा रंगों का प्रयोग किया जाता है. जैसे रेड अलर्ट, येलो अलर्ट ऑरेंज अलर्ट और ग्रीन अलर्ट. मौसम विभाग के अनुसार अलर्ट्स के लिए रंगों का चुनाव कई एजेंसियों के साथ मिलकर किया गया है. आइए जानते हैं आखिर मौसम विभाग के अलर्ट का मतलब क्या होता है.

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भीषण गर्मी, सर्द लहर, मॉनसून या चक्रवाती तूफान आदि के बारे में जानकारी देने के लिए इन रंगों के अलर्ट का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे-जैसे मौसम अपने चरम की ओर बढ़ता है, वैसे-वैसे अलर्ट गहरा लाल होता चला जाता है. इसी तरह किसी चक्रवाती तूफान की भीषणता भी इन्ही कलर कोड से होती है. जितना भीषण चक्रवात उतना ही ज्यादा लाल अलर्ट होता जाता है.

जानें कैसे-कैसे होते हैं अलर्ट

अक्सर आपने देखा होगा कि मौसम विभाग की ओर से जारी नक्शे पर रेड, ऑरेंज, येलो और ग्रीन अलर्ट रेखाओं के रूप में दर्शाए रहते हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि मौसम के बारे में सचेत करने के लिए भी इन चुनिंदा रंगों का प्रयोग क्यों और किसलिए किया जाता है. मौसम विभाग के अनुसार अलर्ट्स के लिए रंगों का चुनाव कई एजेंसियों के साथ मिलकर किया गया है.

किस अलर्ट का क्या मतलब...

ग्रीन - कोई खतरा नहीं

येलो अलर्ट - खतरे के प्रति सचेत रहें। मौसम विभाग के अनुसार येलो अलर्ट के तहत लोगों को सचेत रहने के लिए अलर्ट किया जाता है। यह अलर्ट जस्ट वॉच का सिग्नल है।

ऑरेंज अलर्ट - खतरा, तैयार रहें. मौसम विभाग के अनुसार जैसे-जैसे मौसम और खराब होता है तो येलो अलर्ट को अपडेट करके ऑरेंज कर दिया जाता है. इसमें लोगों को इधर-उधर जाने के प्रति सावधानी बरतने को कहा जाता है.

रेड अलर्ट - खतरनाक स्थिति. मौसम विभाग ने बताया कि जब मौसम खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और भारी नुकसान होने की आशंका होती है तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है.