आम बजट या फिर यूनियन बजट यानी खर्चे और कमाई का लेखा-जोखा. ठीक उसी तरह से जैसे आप अपने घर का बजट बनाते हैं कि कितने पैसे कमाएंगे, कितने खर्च करेंगे और अंत में कितने पैसे बचाएंगे. लेकिन आम आदमी और सरकार के बजट में एक मामूली सा अंतर होता है. वह अंतर ये है कि आप अपने घर का बजट बनाते हैं और सरकार पूरे देश का. वर्ष 2016 तक फरवरी के अंतिम दिन (28 या 29 फरवरी) को बजट पेश किया जाता था, लेकिन 2017 से यह 1 फरवरी को पेश किया जाता है.

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एक और अंतर है. आम आदमी के घर के बजट में कमाई से खर्चे थोड़े कम होते हैं. इसमें आप कुछ न कुछ बचाने की कोशिश करते हैं. लेकिन सरकार का जो बजट बनता है उसमें आमतौर पर खर्चे ज्यादा होते हैं और कमाई कम. फिर सवाल उठता है कि खर्चे के लिए पैसे कहां से आएंगे. खर्चों के लिए सरकार पैसे उधार लेती है और इसलिए सरकार के बजट को घाटे वाला बजट कहा जाता है. 

देश की कमाई और खर्चों का लेखा-जोखा यूनियन या फिर आम बजट कहलाता है. आम बजट को हर साल देश के वित्तमंत्री पहली फरवरी को संसद में पेश करते हैं.

 

संविधान में ‘बजट’ को एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट कहा गया है. आम बजट में सरकार की आर्थिक नीति की दिशा दिखाई देती है. इसमें मंत्रालयों को उनके खर्चों के लिए पैसे का आवंटन होता है. इसमें आने वाले साल के लिए कर प्रस्तावों का ब्योरा पेश किया जाता है.

वर्ष 1924 से संसद में आम बजट से अलग रेल बजट पेश किया जाता था. लेकिन मोदी सरकार ने रेल बजट को आम बजट में ही मिला दिया.

भारत का पहला बजट 18 फरवरी, 1869 को जेम्स विल्सन ने पेश किया था. जेम्स विल्सन भारत के बजट के जनक के तौर पर जाने जाते हैं.