सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले साल जारी भारतीय रिजर्व बैंक के उस परिपत्र को मंगलवार को रद्द कर दिया जिसमें कर्ज लौटाने में एक दिन की भी चूक पर कंपनी को दिवालिया घोषित करने का प्रावधान है. न्यायाधीश आर एफ नरीमन ने कहा, ‘‘हमने आरबीआई परिपत्र को असंवैधानिक घोषित किया है.’’ 

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रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी 2018 को परिपत्र जारी कर कहा था कि बैंकों को 2,000 करोड़ रुपये या उससे ऊपर के कर्ज के मामलों में एक दिन की भी चूक की स्थिति में दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता कानून के तहत 180 दिन के अंदर रिण समाधान प्रक्रिया शुरू करनी होगी.

इसमें कहा गया था कि यदि निर्धारित अवधि में कोई समाधान नहीं तलाशा जा सके तो गैर-निष्पादित खातों को राष्ट्रीय कंपनी विधि प्राधिकरण के समक्ष रखा जाए. उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 11 सितंबर को इस परिपत्र पर रोक लगा दी थी.

सर्कुलर के अनुसार 1 दिन के लोन डिफाल्‍ट पर कर्ज को NPA में डालने का प्रावधान था. पहले कॉरपोरेट डेट रिस्ट्रक्चरिंग और स्ट्रैटजिक डेट रिस्ट्रक्चरिंग के जरिए ऐसे मामले निपटाए जाते थे.