भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने कहा कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही के दौरान 6.7 प्रतिशत से 6.9 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है. सरकारी आँकड़े 29 फरवरी को जारी किये जाएँगे. समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा, "वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में मामूली गिरावट को ध्यान में रखते हुए, हमारा अनुमान है कि सकल मूल्य वर्धित के साथ सकल घरेलू उत्पाद 6.7-6.9 प्रतिशत के बीच बढ़ना चाहिए जबकि सकल मूल्य वर्द्धन जीवीए के 6.6 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है.”

आर्थिक गतिविधि धीमी, लेकिन उपभोक्ता विश्वास मजूबत

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मासिक डेटा के आधार पर एसबीआई कंपोजिट लीडिंग इंडिकेटर (सीएलआई) इंडेक्स तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधि में थोड़ी नरमी दर्शाता है. यह 41 प्रमुख संकेतकों के एक बास्केट पर आधारित है जिसमें लगभग सभी क्षेत्रों के पैरामीटर शामिल हैं. घोष के अनुसार, अनुमान 30 उच्च-आवृत्ति संकेतकों के साथ इन-हाउस विकसित एसबीआई-एएनएन (आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क) मॉडल से पुष्ट होते हैं.

एएनएन मॉडल के विकास के लिए वित्त वर्ष 2010-11 की चौथी तिमाही से 2019-20 की चौथी तिमाही तक के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है. वैश्विक स्तर पर निराशा के बीच देश में उपभोक्ता विश्वास और मजबूत हुआ है, जो मुख्य रूप से सामान्य आर्थिक स्थिति और रोजगार स्थितियों के बारे में आशावाद से प्रेरित है. घोष ने कहा, विभिन्न उद्यम सर्वेक्षण भी मजबूत व्यावसायिक आशावाद की ओर इशारा करते हैं.

कृषि उत्पादन की कैसी है तस्वीर?

कॉर्पोरेट भारत ने शहरी-ग्रामीण परिदृश्य में उपभोग पैटर्न में लगातार हो रही तेजी से उत्साहित होकर अपना मजबूत प्रदर्शन जारी रखा है. पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2023-24 के लिए प्रमुख खरीफ फसलों का अनुमानित उत्पादन 14.85 करोड़ टन (एमएमटी) है, जो वित्त वर्ष 2022-23 से लगभग 4.6 प्रतिशत कम है.

घोष ने कहा, “रबी फसलों की बुआई का मौसम जो 23 फरवरी को समाप्त हुआ, पिछले वर्ष की तुलना में कुल रकबे में मामूली वृद्धि का संकेत देता है. हालाँकि, अनाज के तहत बोए गए क्षेत्र को लेकर चिंताएँ पैदा हुईं, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 6.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.” उन्होंने कहा कि हालाँकि यदि रबी उत्पादन से ख़रीफ़ की कमी की भरपाई नहीं होती है, तो कृषि में कुछ नरमी देखी जा सकती है, लेकिन कृषि में मूल्यवर्धित मूल्य में गिरावट आएगी. इनलैंड मछली उत्पादन में 2014-15 से 2022-23 तक तेजी से वृद्धि देखी गई और यह 131.13 लाख टन तक पहुंच गया. मत्स्य पालन क्षेत्र की हिस्सेदारी कुल राष्ट्रीय जीवीए का लगभग 1.07 प्रतिशत और कृषि जीवीए का 6.86 प्रतिशत है. घोष ने कहा कि इसलिए इससे वित्त वर्ष 2024 में कृषि और संबद्ध क्षेत्र की वृद्धि को समर्थन मिल सकता है.