Russia-Ukraine War Impact: युद्ध किसी भी देश की इकोनॉमी पर निगेटिव इम्पैक्ट डालता है. अतीत में भी कई मौकों पर युद्ध के चलते कई देशों की इकोनॉमी खस्ता हाल हो चुकी है. नतीजा, दुनिया की विकसित इकोनॉमी की रेस में ये देश पीछे छूट गए. रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia-Ukraine) का भी इसी तरह का असर है. 24 फरवरी को शुरू हुई यूक्रेन-रूस  जंग (Ukraine-Russia War) अब भी जारी है. इस लड़ाई का असर सिर्फ इन दो देशों पर ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में दिखाई देगा. महंगाई बढ़ेगी और कई चीजें आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएंगी.

युद्ध का आपकी जेब पर क्या हो रहा असर?

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जंग से बढ़ने वाली महंगाई का पहला उदाहरण कच्चा तेल है. इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल (Crude Oil) के भाव रिकॉर्ड 14 साल की ऊंचाई पर ट्रेड कर रहा है. ब्रेंट क्रूड 140 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल चुका है. ऐसे में इसका असर आम आदमी की पॉकेट पर पड़ना तय है. आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ा इजाफा तय माना जा रहा है. इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार टूट रहा है. 1 डॉलर की कीमत 77 रुपए के पार निकल चुकी है. इससे भी महंगाई बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है. नेचुरल गैस की कीमतें हों या फिर LPG-CNG के दाम, युद्ध से इनके भाव भी तेजी से चढ़े हैं. मेटल की कीमत में भी रिकॉर्ड तेजी है. अब समझते हैं इन सबका आपकी जेब पर क्या असर होगा?

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14 साल के हाई पर पहुंचा कच्चा तेल

रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) थमने का नाम नहीं ले रहे. लेकिन, इसका असर, क्रूड और नैचुरल गैस पर दिख रहा है. दरअसल, रूस क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस का बड़ा प्रोडक्शन प्लेयर है. यूरोपियन यूनियन को नेचुरल गैस की कुल सप्लाई का करीब 40% सप्लाई सिर्फ रूस करता है. कच्चे तेल में उसका 18% मार्केट शेयर है. क्रूड चढ़ेगा तो घरेलू बाजारों में पेट्रोल-डीजल महंगे होंगे. ट्रांसपोर्ट कॉस्ट में बढ़ेगी और खाने-पीने के सामान महंगा हो जाएगा. 13 दिनों में कच्चा तेल 40% महंगा हो चुका है.

महंगा होगा पेट्रोल-डीजल

क्रूड का भाव 1 डॉलर प्रति बैरल बढ़ने पर पेट्रोल-डीजल का भाव 50-60 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पेट्रोल-डीजल के दामों में 25 रुपए तक की बढ़ोतरी हो सकती है. वहीं, तत्काल इसकी कीमतों में 6 रुपए तक का इजाफा होने की संभावना है.

क्रूड, पेट्रोल-डीजल महंगा होने से आपके लिए क्या-क्या महंगा होगा

- गाड़ी चलाना महंगा पड़ेगा, टैक्सी-ऑटो के किराए में भी बढ़ोतरी संभव है.

- ट्रांसपोर्टेशन का कॉस्ट बढ़ेगा तो खाने-पीने की चीजें महंगी हो जाएंगी.

- कच्चे तेल के इस्तेमाल से प्लास्टिक भी बनाई जाती है. ऐसे में रॉ मैटेरियल महंगा होगा तो इससे बनने वाले प्रोडक्ट भी महंगे होंगे.

LPG और CNG के भी बढ़ेंगे दाम

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) से नेचुरल गैस की सप्लाई प्रभावित हुई है. इसका असर दिखा भी घरेलू मार्केट में CNG का भाव बढ़ चुका है. वही, कमर्शियल गैस सिलेंडर भी महंगा हुआ है. एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाले दिनों में 10-15 रुपए का और इजाफा हो सकता है. रूस दुनिया की जरूरत की नैचुरल गैस का भी 17% हिस्सा उत्पादन करता है. ग्लोबल मार्केट में सप्लाई कम होने से गैस की कीमतों में इजाफा तय है.

असर

- गैस की कीमतें बढ़ने से होटल-रेस्त्रां में खाना महंगा होगा.

- CNG या LPG पर चलने वाली गाड़ियों, टैक्सी को चलाना भी महंगा होगा.

कमोडिटी मार्केट में तेज उछाल

सोना-चांदी, निकल, एल्यूमीनियम और तांबे के भाव ने रफ्तार पकड़ी हुई है. कमोडिटी की कीमतों में इजाफा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ही हो रहा है. निकल के दाम में अब तक रिकॉर्ड 302% की तेजी आ चुकी है. वहीं, जिंक, लेड, कॉपर और एल्युमिनियम जैसे मेटल्स के दाम भी घरेलू मार्केट में 200% से ज्यादा बढ़ चुके हैं. 

असर

- इलेक्ट्रॉनिक्स, व्हाइट गुड्स समेत बेस मेटल से बनने वाले तमाम प्रोडक्ट महंगा होंगे. 

- इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी बनाना महंगा हो सकता है. इसमें भी मेटल्स का इस्तेमाल होता है.

- स्टील और तांबे के बर्तन महंगे हो जाएंगे. 

- बिजली से चलने वाले उपकरण और दूसरे सामान भी महंगे होंगे.

सोना-चांदी के चढ़ेंगे तेवर

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सोना भी दौड़ लगाया रहा है. चांदी की भी चांदी हो रही है. ये एकमात्र ऐसी कमोडिटी है, जो ऐसे हालात में निवेशकों का भला करती है और फिजिकल गोल्ड खरीदने वालों के लिए जेब पर बोझ बढ़ाती है. पिछले 14 दिनों में सोने का भाव 3000 रुपए तक बढ़ चुका है. वहीं, इस साल सोने के भाव में 5000 रुपए की तेजी आई है. एक्सपर्ट्स की मानें तो सोने का भाव 56 हजार को छू सकता है. वहीं, यूद्ध लंबा चलने की स्थिति में अपना पिछला रिकॉर्ड 56200 भी ब्रेक कर सकता है. वहीं, चांदी भी 71 हजार का लेवल पार कर चुकी है. आने वाले दिनों में इसके 80 से 85 हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक जाने का अनुमान लगाया जा रहा है.

असर

- सोने-चांदी से बनने वाली ज्वेलरी महंगी होगी.

- मोबाइल फोन में सोना और चांदी दोनों का इस्तेमाल होता है. इनके भी दाम बढ़ सकते हैं.

- गाड़ियों के कुछ पार्ट्स बनने में भी इनका इस्तेमाल होता है, ये भी महंगे हो सकते हैं.

- सोने-चांदी की वजह से दूसरे मेटेल्स की कीमतों को भी सपोर्ट मिल रहा है. तांबा और एल्युमिनियन महंगा हो सकता है.

कमजोर पड़ा रुपया

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) से भारतीय रुपए पर भी दबाव बना है. डॉलर के मुकाबले रुपया सबसे निचले स्तर 77 के पार निकल चुका है. यह अच्छा संकेत नहीं है. इससे महंगाई तो बढ़ेगी ही, साथ ही इकोनॉमी पर भी दबाव बनेगा. इंपोर्ट महंगा पड़ रहा है. एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाले दिनों में डॉलर 80 रुपए का लेवल भी पार कर सकता है.

असर

- रुपया कमजोर होने से घरेलू बाजारों में पेट्रोल-डीजल महंगा होगा.

- विदेशों में पढ़ाई करना महंगा हो जाएगा.

- इंपोर्ट होने वाले सामानों की कीमतों में तेजी आएगी.

- पेट्रोलियम प्रोडक्ट, मोबाइल फोन, खाने का तेल, दलहन, सोना-चांदी, रसायन और उर्वरक का इंपोर्ट महंगा होगा.