रुपये की विनिमय दर में लगातार गिरावट के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल का मानना है कि अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में रुपये की स्थिति बेहतर है. शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया कारेाबार के दौरान टूटकर पहली बार 74 प्रति डॉलर के स्तर से भी नीचे आ गया. 

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पटेल ने कहा कि रुपये की विनिमय दर बाजार की ताकतों से तय होती है और रिजर्व बैंक ने विनिमय दर का कोई दायर नहीं तय कर रखा है. उल्लेखनीय है कि इस साल जनवरी से रुपया 17 प्रतिशत टूट चुका है. 

गवर्नर ने कहा यह भी कहा कि सितंबर के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार 400.5 अरब डॉलर पर था, जो दस माह के आयात के वित्तपोषण के लिए पर्याप्त है. रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. साथ ही वित्त वर्ष के दौरान दरों में कटौती की संभावना को भी नकार दिया है. 

केंद्रीय बैंक के इस रुख के बाद रुपया कारोबार के दौरान टूटकर 74.13 प्रति डॉलर के नए सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया. हालांकि, शुरुआती कारोबार में रुपया 73.52 प्रति डॉलर पर मजबूत खुला था. पटेल ने इस बात को स्वीकार किया कि बाहरी कारकों के प्रभाव से भारत बच नहीं सकता. हालांकि, उन्होंने कहा कि यदि हम अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं से तुलना करें, तो रुपये में गिरावट कम है.

मौद्रिक समीक्षा के बाद परंपरागत संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पटेल ने रुपये के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित करने से इनकार किया. उन्होंने कहा कि इस तरह की परिस्थितियों के लिए हमारी प्रतिक्रिया यह सुनिश्चित करने की है कि विदेशी विनिमय बाजार में तरलता कायम रहे और कोई बेवजह का उतार-चढ़ाव नहीं हो. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 13 अप्रैल, 2018 को समाप्त सप्ताह में 426.02 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था. लेकिन उसके बाद से यह लगातार घट रहा है.