रुपए के लिए मंगलमय नहीं होगा 2019, 75/$ तक गिर सकता है भाव
इस साल अक्टूबर में डॉलर के मुकाबले रुपया 74 के मनोवैज्ञानिक स्तर तक लुढ़क गया था. इससे भारत में न सिर्फ तेल कीमतों पर असर पड़ा बल्कि सरकार का चालू खाता घाटा (CAD) काफी बढ़ गया था.
रेटिंग एजेंसी फिच ने रुपए के फिर उसी स्तर पर जाने की चेतावनी जारी की है. (फाइल फोटो)
रेटिंग एजेंसी फिच ने रुपए के फिर उसी स्तर पर जाने की चेतावनी जारी की है. (फाइल फोटो)
इस साल अक्टूबर में डॉलर के मुकाबले रुपया 74 के मनोवैज्ञानिक स्तर तक लुढ़क गया था. इससे भारत में न सिर्फ तेल कीमतों पर असर पड़ा बल्कि सरकार का चालू खाता घाटा (CAD) काफी बढ़ गया था. हालांकि बाद में इसमें सुधार हुआ. अब यह 70 रुपए प्रति डॉलर के आसपास बना हुआ है. क्रूड भी 50 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है. इस बीच रेटिंग एजेंसी फिच ने रुपए के फिर उसी स्तर पर जाने की चेतावनी जारी की है. उसका कहना है कि 2019 के अंत में रुपया फिर 75/$ पर आ सकता है.
क्या पड़ेगा आम आदमी पर असर
जानकारों की मानें तो डॉलर के मुकाबले रुपए में तेज गिरावट कई तरह से असर डालती है. मसलन चालू खाता घाटा बढ़ जाता है और क्रूड आयात बिल में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है, जिसका असर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ता है. तेल कंपनियों को कीमतें बढ़ानी पड़ती हैं. डीजल महंगा हुआ मतलब रोजमर्रा की जरूरी चीजों के दाम बढ़े. कुलमिलाकर यह अर्थव्यवस्था की गति को मंद करता है.
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क्या चल रहा चालू खाता घाटा
देश का कैड वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 19.1 अरब डॉलर हो गया, जो इसकी पिछली तिमाही में 15.9 अरब डॉलर था. वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 6.9 अरब डॉलर था. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में भारत का सीएडी 19.1 अरब डॉलर (सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी का 2.9 फीसदी) रहा, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 6.9 अरब डॉलर था और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 15.9 अरब डॉलर (जीडीपी का 2.4 फीसदी) था.
12:37 PM IST