महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर, अप्रैल में 18 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा रीटेल इंफ्लेशन रेट
अप्रैल में महंगाई के मोर्च पर राहत मिली है. बीते महीने खुदरा महंगाई दर घटकर 4.7 फीसदी पर आ गई. फूड इंफ्लेशन रेट घटकर 3.84 फीसदी रहा.
CPI for April: अप्रैल महीने के लिए खुदरा महंगाई का डेटा आ गया है. बीते महीने रीटेल इंफ्लेशन रेट यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 4.7 फीसदी रहा. यह 18 महीने का निचला स्तर है. मार्च में यह 5.66 फीसदी रहा था. फूड इंफ्लेशन रेट 3.84 फीसदी रहा जो मार्च में 4.79 फीसदी रहा था. रूरल और अर्बन इंफ्लेशन में भी कमी दर्ज की गई है. बीते महीने रूरल इंफ्लेशन रेट 4.68 फीसदी रहा जो मार्च में 5.51 फीसदी रहा था. अर्बन इंफ्लेशन रेट 4.85 फीसदी रहा जो मार्च में 5.89 फीसदी रहा था.
कोर इंफ्लेशन 5.2 फीसदी रहा
अप्रैल में कोर इंफ्लेशन रेट 5.2 फीसदी रहा जो मार्च में 5.8 फीसदी रहा था. अलग-अलग सेगमेंट की बात करें तो फूड इंफ्लेशन रेट 3.84 फीसदी, वेजिटेबल्स के लिए महंगाई दर माइनस 6.50 फीसदी, फ्यूल एंड लाइट में 5.52 फीसदी, हाउसिंग में 4.91 फीसदी, क्लोदिंग एंड फुटवियर में 7.47 फीदी और पल्स में महंगाई दर 5.28 फीसदी रही.
अक्टूबर 2021 के बाद सबसे कम महंगाई
यह लगातार दूसरा महीना है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे में है. आरबीआई को महंगाई दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. आंकड़ों के अनुसार सीपीआई-आधारित खुदरा महंगाई इस साल मार्च में 5.66 फीसदी तथा एक साल पहले अप्रैल महीने में 7.79 फीसदी थी. अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर अक्टूबर 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर है. उस समय यह 4.48 फीसदी रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अप्रैल में 3.84 फीसदी रही जो मार्च में 4.79 फीसदी थी. एक साल पहले अप्रैल महीने में 8.31 फीसदी थी. अनाज, दूध और फल आदि की कीमतें बढ़ने से खुदरा महंगाई दिसंबर 2022 में 5.7 फीसदी से बढ़कर इस साल फरवरी में 6.4 फीसदी पर आ गयी थी. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा महंगाई के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.
इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर
महंगाई में आई गिरावट को लेकर इकोनॉमिस्ट अरुण कुमार ने जी बिजनेस से खास बातचीत करते हुए कहा कि यह अच्छी खबर है. गरीबों के लिए यह अच्छी खबर है. इंफ्लेशन में गिरावट का मतलब है कि कीमत बढ़ने की दर घट रही है. यह इकोनॉमी के लिए शुभ संकेत है. सप्लाई चेन में सुधार और कमोडिटी की कीमत में राहत का भी फायदा मिला है.
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