नोटबंदी के प्रभाव को लेकर इन्होंने किया था आगाह, घोषणा से केवल ढाई घंटे पहले हुई थी ये बैठक
Noteban: सरकार के 500 और 1,000 रुपये के नोट को चलन से हटाए जाने के कदम का मुख्य मकसद काला धान पर अंकुश लगाना था. चलन वाले कुल नोट में बड़ी राशि के नोट की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत थी.
प्रधानमंत्री ने 500 और 1,000 रुपये के नोट को चलन से हटाने की घोषणा की थी. (फाइल फोटो - रॉयटर्स)
प्रधानमंत्री ने 500 और 1,000 रुपये के नोट को चलन से हटाने की घोषणा की थी. (फाइल फोटो - रॉयटर्स)
केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल ने देश की आर्थिक वृद्धि पर नाटेबंदी का अल्पकालीन नकारात्मक प्रभाव पड़ने को लेकर आगाह किया था और कहा कि इस अप्रत्याशित कदम का कालाधन की समस्या से निपटने के लिये कोई ठोस प्रभाव नहीं पड़ेगा. निदेशक मंडल में आरबीआई के मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास भी शामिल थे. सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में दिये गए बैठक के ब्योरे के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा को लेकर राष्ट्र को संबोधन से केवल ढाई घंटे पहले आरबीआई निदेशक मंडल की बैठक हुई.
काला धान पर अंकुश मुख्य मकसद था
सरकार के 500 और 1,000 रुपये के नोट को चलन से हटाए जाने के कदम का मुख्य मकसद काला धान पर अंकुश लगाना था. चलन वाले कुल नोट में बड़ी राशि के नोट की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत थी. ब्योरे के अनुसार महत्वपूर्ण बैठक में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास मौजूद थे. इसमें शामिल अन्य सदस्य तत्कालीन वित्त सचिव अंजलि छिब दुग्गल, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर गांधी और एस. एस. मूंदड़ा थे. गांधी और मूंदड़ा दोनों अब निदेशक मंडल में शामिल नहीं है. वहीं दास को दिसंबर 2018 में आरबीआई का गवर्नर बनाया गया था. बोर्ड की बैठक में सरकार के नोटबंदी के अनुरोध को मंजूरी दी.
ज्यादातर कालाधन नकद रूप में नहीं
आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक की तरफ से कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव पर पोस्ट किये गए बैठक ब्योरे के अनुसार, ‘‘यह सराहनीय कदम है लेकिन इसका चालू वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद पर अल्पकाल में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.’’ निदेशक मंडल की 561वीं बैठक में कहा गया, ‘‘ज्यादातर कालाधन नकद रूप में नहीं है बल्कि सोना और अचल सम्पत्ति के रूप में है और इस कदम का वैसी संपत्ति पर ठोस असर नहीं होगा.’’
15.31 लाख करोड़ रुपये वापस आ गए
प्रधानमंत्री ने 500 और 1,000 रुपये के नोट को चलन से हटाने की घोषणा की थी जिसका मकसद कालाधन पर अंकुश लगाना, नकली मुद्रा पर रोक लगाना तथा आतंकवदी संगठनों के वित्त पोषण पर लगाम लगाना आदि था. नकली नोट के बारे में बैठक में कहा गया था कि कुल 400 करोड़ रुपये इस श्रेणी के अंतर्गत हैं जो कुल मुद्रा का बहुत कम प्रतिशत है. 8 नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में थे. इसमें से बैंकों में चलन से हटाए गए नोट को जमा करने के लिये देश के नागरिकों को दिये गए 50 दिन के समय में 15.31 लाख करोड़ रुपये वापस आ गए. प्रवासी भारतीयों के लिये यह समयसीमा जून 2017 थी.
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(इनपुट एजेंसी से)
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