इस वित्त वर्ष जीडीपी का 3 फीसदी रह सकता है करेंट अकाउंट डेफिसिट, 750 अरब डॉलर का निर्यात संभव : RBI
Current Account Deficit: रिजर्व बैंक की तरफ से जारी आर्टिकल में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष में भारत का करेंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी का 3 फीसदी तक पहुंच सकता है. गुड्स और सर्विस निर्यात का आंकड़ा ऐतिहासिक 750 बिलियन डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है.
निर्यात में गिरावट और आयात में तेजी के कारण भारत का ट्रेड डेफिसिट लगातार बढ़ रहा है. इसके कारण करेंट अकाउंट डेफिसिट पर बोझ बढ़ता जा रहा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी ताजा बुलेटिन में कहा गया है कि भारत का चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (India GDP) के तीन फीसदी के भीतर रह सकता है. बीते वित्त वर्ष में यह 1.2 फीसदी पर था. भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है. एक साल पहले के इसी अवधि में यह 54 अरब डॉलर था.
क्रूड ऑयल, एडिबल ऑयल और फर्टिलाइजर की कीमत में राहत
‘स्टेट ऑफ द इकनॉमी’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल की वायदा कीमतों में नरमी आई है. एडिबल ऑयल और उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी पहले की तुलना में अधिक नरम दिख रही हैं. लेख में कहा गया है कि एक और अच्छी बात यह है कि अगस्त में पेट्रोलियम पदार्थों के निर्यात में भी सालाना आधार पर सुधार आया है.
गुड्स एंड सर्विस निर्या 750 अरब डॉलर रह सकता है
लेख के अनुसार, कुल मिलाकर 2022-23 के लिए वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 750 अरब डॉलर के लक्ष्य को हासिल कर सकता है. इसके अलावा, प्रवासी भारतीयों द्वारा धन प्राप्त करने के मामले में भारत दुनिया में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है. देश में पिछले वित्त वर्ष के दौरान प्रवासी भारतीयो से रिकॉर्ड 90 अरब डॉलर का धन आया था. चालू वित्त वर्ष में इसके रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है.
FPI और FDI में उछाल से मिलेगी मदद
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम के लिखे लेख में कहा गया, ‘‘कुल मिलाकर चालू खाते के घाटा का जीडीपी के तीन फीसदी के भीतर रहने का अनुमान है.’’ विदेशी निवेशकों की लिवाली और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मजबूत रहने से घाटे का वित्तपोषण हो सकता है.’’ केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त की गई राय लेखकों की हैं और रिजर्व बैंक के विचारों का नहीं दर्शाती है.