सरकार का बड़ा फैसला, 50 हजार हेक्टेयर में क्लस्टर खेती करेगी प्राइवेट कंपनियां, किसानों की बढ़ेगी आय, जानिए डीटेल
Cluster Farming: केंद्र सरकार ने 5 प्राइवेट कंपनियों को प्रायोगिक आधार पर लगभग 50,000 हेक्टेयर में स्पेसिफिक बागवानी फसलों की ‘क्लस्टर’ आधार पर खेती करने की मंजूरी दी है. इसके लिए सरकारी सब्सिडी (Subsidy) सहित 750 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.
Cluster Farming: किसानों की आमदनी बढ़ाने और भारतीय उपज को ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला किया है. केंद्र सरकार ने 5 प्राइवेट कंपनियों को प्रायोगिक आधार पर लगभग 50,000 हेक्टेयर में स्पेसिफिक बागवानी फसलों की ‘क्लस्टर’ आधार पर खेती करने की मंजूरी दी है. इसके लिए सरकारी सब्सिडी (Subsidy) सहित 750 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.
ये कंपनियां करेंगी क्लस्टर खेती
देसाई एग्रीफूड्स, एफआईएल इंडस्ट्रीज, सह्याद्री फार्म्स, मेघालय बेसिन मैनेजमेंट एजेंसी, और प्रसाद सीड्स पांच वे कंपनियां हैं जिन्हें एक बोली प्रक्रिया के माध्यम से प्रायोगिक संकुल खेती के लिए चुना गया है. केंद्र हाल ही में शुरू की गई सेंट्रल स्कीम क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (CDP) के तहत परियोजना के आकार के आधार पर 100 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता देगा, जिसे राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा 2,200 करोड़ रुपये के आउटले के साथ लागू किया गया है.
ये भी पढ़ें- इस युवा किसान ने दिखा दी 'खेती-किसानी' की ताकत, हर महीने कर रहा ₹1.25 लाख की कमाई, आप भी लें सीख
कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) में संयुक्त सचिव, प्रिय रंजन ने कहा, क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण से दुनिया भर में अविश्वसनीय सफलता हासिल हुई है. भारत में, सरकार पहली बार वित्तीय सहायता देकर स्पेसिफिक बागवानी फसलों की संपूर्ण वैल्यू चेन के बाजार आधारित विकास को प्रोत्साहित कर रही है.
50 हजार हेक्टेयर में होगी क्लस्टर खेती
उन्होंने कहा, ये पांच कंपनियां लगभग 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई हैं और लगभग 55,000 किसानों को अपने दायरे में लाती हैं. इस ग्रुप में लगभग 750 करोड़ रुपये का निवेश है. उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, देसाई एग्रीफूड्स की 103 करोड़ रुपये की 'केला क्लस्टर' (Banana Cluster) प्रोजेक्ट आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में विकसित की जाएगी, सह्याद्री फार्म्स की 205 करोड़ रुपये की 'अंगूर क्लस्टर' (Grapes Cluster) प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के नासिक में विकसित की जाएगी जबकि मेघालय बेसिन प्रबंधन एजेंसी की 52 करोड़ रुपये की 'हल्दी क्लस्टर' (Turmeric Cluster') प्रोजेक्ट पश्चिम जयंतिया हिल्स में विकसित की जाएगी.
ये भी पढ़ें- आम की फसल पर बेधक कीट का प्रकोप, नुकसान से बचने के लिए तुरंत कर लें ये उपाय
उन्होंने कहा कि एफआईएल इंडस्ट्रीज जम्मू और कश्मीर के शोपियां में एक 'सेब क्लस्टर' (Apple Cluster) प्रोजेक्ट विकसित करेगी जबकि प्रसाद सीड्स तेलंगाना के महबूबनगर में एक 'आम क्लस्टर' (Mango Cluster) प्रोजेक्ट विकसित करेगी.
इन फसलों पर फोकस करेंगी कंपनियां
केला, सेब, अंगूर, हल्दी और आम वे मुख्य फसलें हैं जिन पर ये कंपनियां ध्यान केन्द्रित करेंगी. प्रोजेक्ट के पूरा होने और परिचालन की समय-सीमा 4 वर्ष होगी. सरकार का लक्ष्य देश भर में चिन्हित 55 अलग-अलग क्लस्टर को विकसित करना है, प्रत्येक क्लस्टर की अपनी स्पेसिफिक फसल होगी.
ये भी पढ़ें- एक डिप्लोमा और हर महीने होने लगी लाखों की कमाई, जानिए केला, तरबूज ने कैसे बदल दी युवा किसान की जिंदगी
12 क्लस्टर में 7 फसलों पर ध्यान दिया जाएगा
शुरुआथ में, प्रायोगिक आधार पर 12 क्लस्टर में 7 फसलों पर ध्यान दिया जाएगा. क्लस्टर विकास परियोजना के तहत, 5,000 हेक्टेयर से अधिक के मिनी क्लस्टर के लिए 25 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता, 5,000-10,000 हेक्टेयर के बीच मध्य आकार के क्लस्टर के लिए 50 करोड़ रुपये तक और 15,000 हेक्टेयर से अधिक के मैक्रो क्लस्टर के लिए 100 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी.
क्लस्टर खेती (Cluster Farming) की कार्यान्वयन एजेंसियों को अलग-अलग कार्यक्षेत्रों के लिए बोली प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाता है. प्राइवेट कंपनियों के अलावा, किसान उत्पादक संगठन (FFOs), किसान उत्पादक कंपनियां (FPCs), फेडरेशन, सहकारी समितियां, पार्टनरशिप फर्म, प्रोप्राइटरशिप फर्म, राज्य कृषि और मार्केटिंग बोर्ड और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएं कार्यान्वयन एजेंसियां बनने के लिए पात्र हैं.
ये भी पढ़ें- अमरूद की खेती से किसान कमा रहा लाखों, एक बार करें निवेश, 30 से 35 वर्षों तक होगी कमाई
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें