बजट सत्र के पहले ही दिन संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया है. कल यानी 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेंगी. संसद में पेश किए गए इकनॉमिक सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था की अच्छी ग्रोथ रही. सर्वे के अनुसार भले ही कुछ कैटेगरी में महंगाई बढ़ी है, लेकिन अगर सभी कैटेगरी को एक साथ देखा जाए तो सरकार ने महंगाई काबू में होने का दावा किया है. आर्थिक सर्वे के अनुसार सकल स्थायी पूंजी निर्माण (Gross Fixed Capital Formation) अर्थव्यवस्था की ग्रोथ में अहम ड्राइवर बनकर उभर रहा है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

FY24 में रियल GDP ग्रोथ 8.2% रही. जियो पॉलिटिकल चुनौतियों के बावजूद इकोनॉमी बेहतर कॉरपोरेट सेक्टर का अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन रहा. FY25 में 6.5% से 7% GDP ग्रोथ का अनुमान लगाया जा रहा है. FY24 में FDI $4760 Cr से घटकर $4580 Cr (YoY) पर आ गया है.

ग्लोबल संकट से सप्लाई पर असर

2024 में ग्लोबल संकट से सप्लाई पर असर संभव है. जियो पॉलिटिकल तनाव से कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी संभव है. वहीं दूसरी ओर ग्लोबल मांग को लेकर अनिश्चितता बरकरार है. जियो पॉलिटिकल तनाव से RBI पॉलिसी रूख पर असर संभव है. 2024 के लिए ग्लोबल ट्रेड आउटलुक पॉजिटिव बना रहेगा.

मैन्युफैक्चरिंग को प्राथमिकता देने की जरूरत

FY25 में NHAI 33 एसेट्स का मॉनेटाइजेशन करेगी. ग्लोबल अनिश्चितता से कैपिटल फ्लो पर असर संभव है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्राथमिकता देने की जरूरत है. FY25 में IT सेक्टर में हायरिंग की ग्रोथ धीमी रही है. सरकार को जमीनी स्तर पर रिफॉर्म्स की जरूरत है. स्ट्रक्चरल रिफॉर्म को लागू करने के लिए गवर्नेंस को मजबूत करना होगा.

अनिश्चित वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद घरेलू वृद्धि चालकों ने वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि को समर्थन दिया. भू-राजनीतिक तनाव बढ़ना और उसका प्रभाव आरबीआई की मौद्रिक नीति के रुख को प्रभावित कर सकता है. सामान्य मानसून की उम्मीद और आयात कीमतों में नरमी से आरबीआई के मुद्रास्फीति अनुमानों को बल मिलता है.

भारत की नीतियों ने चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना किया, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की. कंपनियों और बैंकों का बही-खाता मजबूत होने से निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा. कर अनुपालन लाभ, व्यय पर अंकुश और डिजिटलीकरण से भारत सरकार के राजकोषीय प्रबंधन में बेहतर संतुलन हासिल कर पाया है.

भारत की ग्रोथ में पूंजी बाजार की अहम भूमिका

भारत की वृद्धि गाथा में पूंजी बाजार प्रमुख भूमिका निभा रहा है. बाजार वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक झटकों के बीच जुझारू बना हुआ है. लघु अवधि का मुद्रास्फीति परिदृश्य नरम, पर भारत के समक्ष दलहन की कमी और इसके चलते कीमतों का दबाव. वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है, इसलिए इसे वैश्विक या स्थानीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली संभावित कमजोरियों के लिए तैयार रहना चाहिए.

एआई से नौकरियों पर छाए संकट के बादल

कृत्रिम मेधा (एआई) से सभी कौशल स्तरों के श्रमिकों पर बड़ी अनिश्चितता के बादल छाए. चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी और निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

देश में विदेश में बसे भारतीयों द्वारा भेजा गया धन 2024 में 3.7 प्रतिशत बढ़कर 124 अरब डॉलर हुआ. 2025 में इसके 129 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान. आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि करीब 54 प्रतिशत बीमारियां अस्वास्थ्यकर आहार के कारण होती हैं. संतुलित, विविध आहार की ओर बदलाव की जरूरत.

मुख्य आर्थिक सलाहाकार की निगरानी में होता है तैयार

आर्थिक सर्वे को वित्त मंत्रालय का विभाग इकोनॉमिक अफेयर्स के तहत आने वाला इकोनॉमिक डिविजन बनाता था. मुख्य आर्थिक सलाहाकार की देख-रेख में ये सर्वे तैयार किया जाता है. साल 1950-51 में पहला आर्थिक सर्वे पेश किया गया था. साल 1964 तक इसे बजट के साथ पेश किया जाता था. बाद में इसे एक दिन पहले पेश किया गया. आर्थिक सर्वे में बीते साल का लेखा-जोखा और आने वाले साल में अर्थव्यवस्था के सुझाव रहते हैं. 

साल 2014 से आर्थिक सर्वे को दो वॉल्यूम में पेश किया जाने लगा है. पहले वॉल्यूम में अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर फोकस किया जाता है. वहीं, दूसरे वॉल्यूम में अर्थव्यवस्था के सभी खास सेक्टर्स का रिव्यू किया जाता है.