Exclusive: ऑटो-बैटरी से कपड़े और दवा तक की PLI Scheme में होगा बदलाव, निवेश बढ़ाने की है तैयारी
सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (EGoS) ने डीपीआईआईटी (DPIIT) से कहा है कि प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम की गाइडलाइन्स को कुछ सेक्टर्स के लिए संशोधित किया जाना चाहिए, ताकि उनमें स्पीड देखने को मिल सके.
सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (EGoS) ने डीपीआईआईटी (DPIIT) से कहा है कि प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम की गाइडलाइन्स को कुछ सेक्टर्स के लिए संशोधित किया जाना चाहिए, ताकि उनमें स्पीड देखने को मिल सके. यह सेक्टर हैं- ऑटोमोबाइल/ऑटो कंपोनेंट, एडवांस केमिस्ट्री सेल और टेक्सटाइल.
PLI-AUTO के लिए कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में EGoS ने इस बात की मंजूरी दे दी है कि इसे लागू करने के शुरुआती सालों को 1 साल बढ़ा दिया जाए. यह 2023-24 से शुरू होगा, क्योंकि स्कीम का प्रदर्शन अप्रैल 2022 से शुरू हुआ है. इसमें फर्म्स को मार्च 2022 में जोड़ा गया था.
एक अधिकारी ने कहा- 'चूंकि एक महीने के समय में न्यूनतम 50 प्रतिशत के डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन के प्रदर्शन मानदंड को पूरा करना आसान नहीं था, इसलिए यह निर्णय लिया गया कि निवेश को छोड़कर सभी मापदंडों के लिए योजना की शुरुआत की तारीख को अप्रैल 2023 में स्थानांतरित कर दिया जाए.'
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PLI-ACC के लिए भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) को दूसरे राउंड के तहत बोलियां मंगाते समय बचे हुए 20 GWh में से 10 GWh ग्रिड स्केल स्टेशनरी स्टोरेज के लिए रखा जाए. पीएलआई-एसीसी योजना का लक्ष्य 50 गीगावॉट की मैन्युफैक्चरिंग कैपिसिटी हासिल करना है, जिसमें से 30 गीगावॉट क्षमता पहले दौर में ही आवंटित की जा चुकी है.
अधिकारी ने कहा कि पहले दौर में 20 गीगावॉट से कम उत्पादन क्षमता प्राप्त करने वाले सफल बोलीदाता दूसरे दौर में भाग लेने के योग्य होंगे. इसमें सभी चुनी गई कंपनियों को पहले दौर की तरह प्रोडक्ट को पूरी तरह से तैयार के लिए 2 साल और इंसेंटिव क्लेम करने के लिए 5 साल का समय मिलेगा.
एमएचआई ने अक्टूबर 2023 में एक लेटर के जरिए इस तरह के पृथक्करण का विरोध करते हुए कहा था कि 'पीएलआई-एसीसी योजना के तहत 20 GWh एसीसी क्षमता के लिए बोली किसी खास इस्तेमाल के लिए आंशिक क्षमता को सीमित किए बिना जारी की जानी चाहिए.'
टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स के लिए पीएलआई योजनाएं, जो वैधानिक मंजूरी हासिल करने में देरी के कारण पिछड़ गईं, उन्हें प्रोडक्ट तैयार करने तक की अवधि में 31 मार्च 2024 से 31 मार्च 2025 तक निवेश के लिए विस्तार मिलेगा. इस तरह इंसेंटिव जारी करने के अंतिम वर्ष को 31 मार्च 2030 तक बढ़ाया जाएगा.
आईटी हार्डवेयर और स्पेशियलिटी स्टील जैसे कपड़ा उद्योग पीएलआई योजना को आगे बढ़ाने के लिए काफी संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि निवेश ही नहीं आ रहा है. कपड़ा मंत्रालय को दूसरे पीएलआई राउंड के लिए आवेदन की अवधि दो बार बढ़ानी पड़ी है, जिसमें लगभग 11,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है.
थोक दवाओं (Bulk Drugs) के लिए भी पीएलआई योजना में विस्तार दिया जाएगा, क्योंकि इंसेंटिव के फंड का इस्तेमाल ही नहीं हो पाया है, क्योंकि या तो कोई निवेशक नहीं है या फिर प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. केमिकल सिंथेटिक प्रोडक्ट्स के लिए, इस अवधि को वित्त वर्ष 2027-28 से वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़ाया जा रहा है. वहीं फर्मेंटेशन आधारित प्रोडक्ट्स के लिए, इसे वित्त वर्ष 2028-29 से वित्त वर्ष 2029-30 तक बढ़ाया जाएगा.
थोक दवाओं के लिए पीएलआई योजना के तहत 41 प्रोडक्ट्स में से 8 प्रोडक्ट के लिए कोई खरीदार नहीं था, जिसके चलते 1,655 करोड़ रुपये का आवंटन ही नहीं किया जा सका है. केमिकल सिंथेसिस के मामले में और फर्मेंटेशन आधारित प्रोडक्ट्स के मामले में बहुत सारे प्रतिभागी अपना इंसेंटिव क्लेम नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि प्रोजेक्ट शुरू होने में देरी हो रही है.
मेडिकल डिवाइस स्कीम्स के लिए भी पीएलआई योजना को वित्त वर्ष 2027-28 से वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़ाया जा रहा है, क्योंकि प्रोजेक्ट्स के चालू होने में देरी हुई है, जिससे टारगेट हासिल करने में देरी हो रही है.
डीपीआईआईटी की तरफ से किए गए बदलावों के चलते, नई और रीन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय सौर पीवी मॉड्यूल के निर्माण में जरूरी पॉलीसिलिकॉन और इनगॉट-वेफर्स के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हाई एफिशिएंसी सोलर फोटो वोल्टाइक मॉड्यूल के लिए पीएलआई में करीब 5,500 करोड़ रुपये की बचत का इस्तेमाल करने की इजाजत देगा.
इसी तरह, फूड प्रोसेसिंग विभाग को वित्त वर्ष 2024-25 से बाजरा आधारित उत्पादों 2.0 के लिए पीएलआई योजना को लागू करने के लिए लगभग 1000 करोड़ रुपये की बचत का उपयोग करने को मिलेगा. इससे शुरुआती 4 सालों तक सेल बढ़ने पर 10 फीसदी इंसेंटिव, पांचवें साल 9 फीसदी इंसेंटिव और आखिरी साल 8 फीसदी इंसेंटिव मिलेगा.
पीएलआई योजनाएं घरेलू और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करके देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करके भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
इन योजनाओं के जरिए सरकार कंपनियों को प्लांट, मशीनरी, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के जरिए अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है. यह बढ़ी हुई मैन्युफैक्चरिंग पर 5 सालों के लिए इंसेंटिव मुहैया करता है, अलग-अलग सेक्टर के लिए दर अलग-अलग होती है.
यह वर्तमान में रणनीतिक और आर्थिक महत्व के 14 सेक्टर्स को टारगेट करता है. नवंबर 2023 तक, लगभग 95,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था, जिसके चलते लगभग 4.5 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हुईं, 7.8 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ और 2.8 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हुआ.
10:40 PM IST