Petrol-Diesel Price: खबर अच्छी हो तो मॉर्निंग भी Good हो जाती है. ऐसी ही एक खबर आज आपके मूड को बेहतरीन बना सकती है. दरअसल, कल रात जब आप सो रहे थे, तो दूर विदेशों में बैठकर एक बड़ा फैसला लिया गया. फैसला पेट्रोल-डीजल के हक में रहा. मतलब आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) में कटौती दिख सकती है. आसान शब्दों में कहें तो 'Petrol-Diesel Sasta Hoga'. पेट्रोल-डीजल के दाम में छोटी सी भी कटौती हमें बड़े खुशी देती है. लेकिन, बैठक में जो फैसला लिया गया वो सिर्फ भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया के फायदे का सौदा है.

OPEC+ का तेल की आग शांत करने का फैसला

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पिछले कुछ टाइम से क्रूड उबाल मार रहा है. कच्चे तेल का भाव लगातार 112-118 डॉलर की रेंज बना हुआ है. पिछले चार महीने में क्रूड ने नई ऊंचाइयों को छुआ है. क्रूड की बढ़ती आग की चपेट में दुनिया के लभगभ सारे देश हैं. क्योंकि, तेल की बढ़ती महंगाई से आम चीजों की कीमतों पर भी असर पड़ता है. खासकर पेट्रोल-डीजल के दाम सीधे तौर पर इससे जुड़े हैं. लेकिन, OPEC+ देशों ने Crude की आग को शांत करने का फैसला लिया है. तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक (OPEC) और रूस समेत अन्य सहयोगी देशों ने जुलाई-अगस्त से कच्चे तेल का उत्पादन (Crude Oil Production Hike) और बढ़ाने का फैसला लिया है. इस फैसले से क्रूड के भाव में कमी देखने को मिल सकती है.

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कितना बढ़ेगा कच्चे तेल का उत्पादन?

OPEC, रूस समेत अन्य सहयोगी देशों ने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाकर रोजाना 6.48 लाख बैरल करने का फैसला लिया है. इस फैसले से दुनियाभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Petrol-Diesel Price Cut) में कटौती देखने को मिल सकती है. साल 2020 में महामारी कोरोना के वक्त लगे लॉकडाउन से कच्चे तेल की खपत काफी कम हुई थी. इस वजह से क्रूड का भाव (Crude Oil Price) भी टूटा था. उस वक्त OPEC+ ने कच्चे तेल के उत्पादन में बड़ी कटौती की थी. फिलहाल रोजाना 4.32 लाख बैरल क्रूड का उत्पादन हो रहा है. लेकिन, इसे अगले महीने से बढ़ाकर 6.48 लाख बैरल करने पर सहमति बनी है.

क्यों बढ़ी थी कच्चे तेल की कीमतें?

फरवरी महीने के आखिर में अचानक से रूस ने युक्रेन (Russia-Ukraine War) पर हमला बोल दिया. इससे इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें बेहताशा बढ़ गईं. रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने से कच्चे तेल की सप्लाई भी बाधित हुई. इसका असर ये हुआ कि क्रूड लगातार नई ऊंचाइयां छूता रहा और दुनियाभर में महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई. ज्यादातर देशों में महंगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतें रहीं. क्योंकि, पेट्रोल-डीजल (Petrol- Diesel Price) की कीमतें बढ़ने से बाकी चीजों के भाव भी अपने आप चढ़ने लगे.

अमेरिका में रिकॉर्ड स्तर पर पेट्रोल-डीजल का भाव

OPEC+ देशों का अभी क्रूड प्रोडक्शन बढ़ाने का मूड नहीं था. लेकिन, ये निर्णय उस वक्त लिया गया है जब अमेरिका में पेट्रोल का दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. साल 2022 की शुरुआत से अब तक अमेरिका का कच्चा तेल 54 फीसदी महंगा हो चुका है. यही वजह है कि क्रूड उत्पादन बढ़ाना जरूरी था. OPEC के फैसले के बाद न्यूयॉर्क में क्रूड का भाव 0.9% तक गिरकर 114.26 डॉलर प्रति बैरल आ गया. कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने से ईंधन की ऊंची कीमतों में राहत जरूर मिलेगी. साथ ही महंगाई के भी नीचे आने की उम्मीद है.

सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल

क्रूड का प्रोडक्शन (Crude Oil Production) बढ़ने से सप्लाई में भी तेजी आएगी. दुनियाभर में क्रूड पर्याप्त मात्रा में पहुंचेगा. इससे कीमतों पर असर दिखेगा और कटौती होने पर पेट्रोल-डीजल भी सस्ता होगा. क्रूड की कीमतों में कटौती होने पर सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Cheaper Petrol-Diesel) पर असर दिखता है. एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि इस फैसले से पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई बहुत बड़ी कटौती नहीं होगी. लेकिन, देश में अगर 1 रुपए भी तेल सस्ता होता है तो ये आम पब्लिक के चेहरे पर मुस्कुराहट जरूर देता है. हाल ही में केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) को घटाया था. इससे देश में पेट्रोल 9.50 रुपए और डीजल 7 रुपए प्रति लीटर सस्ता हो गया था.