सरकार घरेलू उपभोक्ताओं के साथ ही निर्यात बाजारों के लिए कपास और वस्त्रों की उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने को लेकर देश भर में 10-11 परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने की योजना बना रही है. केंद्रीय कपड़ा मंत्री और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे पीयूष गोयल ने कहा, ‘मैंने कपड़ा मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों के विभाग के साथ चर्चा की है. वे हाई क्वालिटी वाले कपास और कपड़ा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के साथ मिलकर काम करेंगे.’ 

60-70 लाख डॉलर के निवेश को मिलेगी मंजूरी

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अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति (आईसीएसी) की 81वीं पूर्ण बैठक के पहले दिन संबोधित करते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने कहा, ‘‘अगले 15 दिनों में यानी 16 दिसंबर तक, हम लगभग 60-70 लाख डॉलर के निवेश के साथ देश भर में प्रयोगशालाओं को मंजूरी देंगे.’  मंत्री ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों में सबसे आधुनिक और उच्च गुणवत्ता वाली परीक्षण प्रयोगशालाएं खुलें. ताकि हम यह सुनिश्चित कर सके कि ग्राहकों तक जो कपड़ा  पहुंचे और जो निर्यात हो, उसकी क्वालिटी बेहतर हो.’ 

100 फीसदी वित्त पोषण करेगी केंद्र सरकार

पीयूष गोयल ने अपने भाषण में आगे कहा कि सरकार शुरुआत में देश के अलग-अलग हिस्सों में 10-11 प्रयोगशालाएं शुरू करेगी. बकौल कपड़ा मंत्री, ‘प्राइवेट सेक्टर, विशेषकर किसानों को समर्थन देने के लिए इन प्रयोगशालाओं के लिए 100 प्रतिशत वित्त पोषण केंद्र सरकार करेगी. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि धीरे-धीरे उन्हें बेहतर गुणवत्ता वाले कपास के उत्पादन के लिए मान्यता मिल सके और उन्हें इसके लिए अच्छा मूल्य मिलना शुरू हो जाए.’ गोयल ने ‘कस्तूरी कॉटन भारत’ ब्रांड भी पेश किया. यह देश का एक मूल्यवर्धित प्रीमियम गुणवत्ता वाला कपास है. 

250 अरब डॉलर का हो सकता है भारत में कपड़ा उद्योग

केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने यह भी कहा कि मूल्य श्रृंखला और प्रौद्योगिकी में सामूहिक प्रयासों से सरकार को भरोसा है कि देश का कपड़ा उद्योग 2030 तक 250 अरब डॉलर का हो सकता है. कपड़ा निर्यात 2030 तक 100 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है. गौरतलब है कि पांच दिसंबर को शुरू होने वाली पूर्ण बैठक में लगभग 400 प्रतिनिधि भाग लेंगे। इसमें 35 देशों के 300 विदेशी प्रतिनिधि शामिल हैं। इनमें विभिन्न कपास उत्पादक और उपभोक्ता देशों के सरकारी प्रतिनिधि, उद्योगपति, व्यापार प्रतिनिधि, वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल हैं.