प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के प्रमुख बिबेक देबरॉय ने सोमवार को कहा कि आर्थिक गतिविधियों के बड़ी संख्या में असंगठित क्षेत्र में होने की वजह से देश में अर्थव्यवस्था तथा रोजगार के बेहतर आंकड़ों का अभाव है. देबरॉय ने रेखांकित किया कि विभिन्न इकाइयों से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकालना काफी कठिन है कि श्रम और रोजगार के क्षेत्र में क्या हो रहा है. इसका एक कारण यह भी है कि इन इकाइयों में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो नियोक्ता-कर्मचारी के रिश्तों की तरह काम करते हैं. 

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बहुत अच्छे आंकड़े नहीं

देबरॉय ने एक सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारे पास देश में अर्थव्यवस्था और रोजगार के बारे में बहुत अच्छे आंकड़े नहीं हैं. इसका कारण भारतीय अथर्व्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में होना है. इसीलिए श्रम, रोजगार या अन्य चीजों के बारे में हमारे पास ऐसे आंकड़े नहीं हैं जैसे कि विकसित देशों में हैं.’’देबरॉय जो कि नीति आयोग के सदस्य भी हैं, ने कहा, ‘‘बड़ी संख्या में लोग अपना खुद का काम कर रहे हैं.

 

संतोषजनक आंकड़े जुटाने होंगे

बड़ा क्षेत्र असंगठित क्षेत्र है. ऐसे में हमें संतोषजनक आंकड़े केवल तभी मिल सकते हैं जब हम राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) की तरह इस बारे में सर्वेक्षण किया जाए.’’ इस मौके पर शोध कार्य करने वाले स्कॉच समूह ने रोजगार पर रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार की अगुवाई में असंगठित क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हुए हैं.

 

फाइल फोटो - ज़ी न्यूज़

असंगठित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित हुए

रिपोर्ट के अनुसार मुद्रा कर्ज योजना, बुनियादी ढांचा विकास खासकर गांवों में सड़कों का निर्माण तथा राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार जैसे क्षेत्रों के विस्तृत विश्लेषण से पता चलता है कि असंगठित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित हुए हैं. स्कॉच समूह के चेयरमैन समीर कोचर ने कहा कि मौजूदा सरकार में असंगठित क्षेत्र में अब तक 2 करोड़ रोजगार सृजित हुए हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से जुड़ी स्कॉच रिपोर्ट में कहा गया था कि योजना लागू होने के पहले दो साल के दौरान 1.7 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं.

(इनपुट एजेंसी से)