Electronic chip and display plants: सरकार को देश में इलेक्ट्रॉनिक चिप और डिस्प्ले मैनुफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए पांच कंपनियों से 1.53 लाख करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव मिले हैं. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेकनोलॉजी मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में इसकी जानकारी दी. इसके मुताबिक वेदांता फॉक्सकॉन जेवी, आईजीएसएस वेंचर्स और आईएसएमसी ने सरकार को 13.6 अरब डॉलर निवेश से इलेक्ट्रॉनिक चिप विनिर्माण संयंत्र (electronic chip manufacturing in india) लगाने का प्रस्ताव रखा है.

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कंपनियों ने की सरकार से डिमांड

खबर के मुताबिक, इसके साथ ही इन कंपनियों ने सेमीकंडक्टर (semiconductor) विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए 'सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम' के तहत केंद्र सरकार से 5.6 अरब डॉलर की मदद की भी मांग रखी है. वेदांता और इलेस्ट ने 6.7 अरब डॉलर के अनुमानित निवेश से एक डिस्प्ले मैनुफैक्चरिंग प्लांट लगाने का प्रस्ताव रखने के साथ ही सरकार से भारत में डिस्प्ले फैब्स के गठन के लिए चलाई गई योजना के तहत 2.7 अरब डॉलर का समर्थन भी मांगा है.

इन कंपनियों ने भी किया है अप्लाई

इसके अलावा एसपीईएल सेमीकंडक्टर, एचसीएल, सिर्मा टेक्नोलॉजी और वेलेंकनी इलेक्ट्रॉनिक्स ने सेमीकंडक्टर पैकेजिंग के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, जबकि रुटोन्सा इंटरनेशनल रेक्टिफायर ने कंपाउंड सेमीकंडक्टर के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. इसके साथ तीन कंपनियों- ट्रमिनस माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, ट्राइस्पेस टेक्नोलॉजीज और क्यूरी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स ने भी डिजाइन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना के तहत अप्लाई किए हैं.

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आत्मनिर्भर भारत बनाने की कोशिश

बीते साल भारत सहित दुनियाभर में सेमीकंडक्टर की भारी किल्लत (electronic chip shortage) देखी गई. इसके चलते ऑटोमोबाइल और दूसरे सेक्टर पर इसका निगेटिव असर पड़ा. भारत में भी कंपनियों के प्रोडक्शन पर भारी असर पड़ा. भारत को सेमीकंडक्टर और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक चिप के लिए दुनिया के देशों पर निर्भर रहना होता है. इस तरह की भारी किल्लत (semiconductor shortage in india) से बचने के लिए सरकार अब भारत में ही सेमीकंडक्टर या चिप की मैनुफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन दे रही है.