अगले वित्त वर्ष में 6% की दर से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था, मंदी से आने वाले समय में बड़े जोखिम सामने आएंगे- राजीव कुमार
Indian Economy: नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन राजीव कुमार कि उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ आने वाली मंदी से आने वाले समय में बड़े जोखिम सामने आएंगे.
Indian Economy: नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा है कि पिछले 8 साल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के सुधारों के कारण भारत हाई ग्रोथ रेट की राह पर बना रहेगा. उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2023-24 में देश की अर्थव्यवस्था के 6% की दर से बढ़ने की उम्मीद है. भाषा की खबर के मुताबिक, कुमार ने आगे कहा कि उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ आने वाली मंदी से आने वाले समय में बड़े जोखिम सामने आएंगे.
उन्होंने कहा, सरकार ने पिछले 8 साल के दौरान जो सुधार किए हैं उनसे देश के पास ऊंची ग्रोथ रेट की राह पर बने रहने का अच्छा अवसर है. हम 2023-24 में 6% की ग्रोथ हासिल करने में सफल रहेंगे. कुमार ने कहा कि अर्थव्यवस्था के नीचे की ओर जाने को लेकर कई जोखिम हैं. विशेषरूप से अनिश्चित ग्लोबल आउटलुक इसकी एक प्रमुख वजह है.
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उन्होंने कहा, हमें इन चुनौतियों का सामना सावधानी से तैयार नीतिगत उपायों के जरिये निर्यात के प्रयासों को समर्थन देकर करना होगा. इसके अलावा हमें घरेलू के साथ विदेशी स्रोतों से निजी निवेश का प्रवाह बढ़ाना होगा.
GDP की ग्रोथ रेट 6.4% रहेगी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का अनुमान है कि 2023-24 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ रेट 6.4% रहेगी. यह संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के अनुरूप ही है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद की ग्रोथ रेट 7% रहने का अनुमान है. आर्थिक समीक्षा 2022-23 में अगले वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट के 6.5% पर रहने का अनुमान लगाया गया है.
ऊंची महंगाई दर को लेकर सवाल पर कुमार ने कहा कि RBI ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि महंगाई नियंत्रण में रहे. उन्होंने कहा, साथ ही सर्दियों की अच्छी फसल खाद्य कीमतों को कम रखने में मदद करेगी.
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RBI ने महंगाई का अनुमान घटाया
RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई के अनुमान को 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है. जनवरी में भारत की खुदरा महंगाई 6.52% रही थी.
चीन के साथ भारत के बढ़ते व्यापार घाटे पर एक सवाल पर कुमार ने सुझाव दिया कि भारत को चीन के बाजार में अधिक अवसर और पहुंच के लिए उसके साथ फिर से जुड़ना चाहिए. कई उत्पाद हैं जो हमारा देश चीन को अधिक मात्रा में निर्यात कर सकता है.
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