भारत में 2000 के दशक की शुरुआत से आर्थिक असमानता लगातार बढ़ रही है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में देश की सबसे अमीर एक फीसदी आबादी की आय में हिस्सेदारी बढ़कर 22.6 फीसदी हो गई है. वहीं संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी बढ़कर 40.1 फीसदी हो गई है. ‘भारत में आमदनी और संपदा में असमानता, 1922-2023: अरबपति राज का उदय’ शीर्षक वाली रिपोर्ट कहती है कि 2014-15 और 2022-23 के बीच शीर्ष स्तर की असमानता में वृद्धि विशेष रूप से धन के केंद्रित होने से पता चलती है.

दुनिया के मुकाबले काफी असमानता है

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यह रिपोर्ट थॉमस पिकेटी (पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब), लुकास चांसल (हार्वर्ड कैनेडी स्कूल एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब) और नितिन कुमार भारती (न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब) द्वारा लिखी गई है. रिपोर्ट के अनुसार, “2022-23 तक सबसे अमीर एक फीसदी लोगों का आय और संपदा में हिस्सा ऐतिहासिक उच्चस्तर क्रमश: 22.6 फीसदी और 40.1 फीसदी पर था. भारत की शीर्ष एक फीसदी आमदनी हिस्सेदारी दुनिया में सबसे अधिक है. यह दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका से भी अधिक है.” 

टॉप-1 फीसदी की इनकम उच्च स्तर पर है

रिपोर्ट में कहा गया कि शुद्ध संपत्ति के नजरिये से भारतीय आयकर प्रणाली प्रतिगामी नजर आती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आर्थिक आंकड़ों की गुणवत्ता काफी खराब है और हाल ही में इसमें गिरावट देखी गई है. इसमें कहा गया है कि भारत में सबसे अमीर एक फीसदी आबादी का आमदनी में हिस्सा ऊंचे स्तर पर है. यह संभवत: सिर्फ पेरू, यमन और कुछ अन्य देशों से ही कम है.