Drones Export: सरकार ने हाई टेक्नोलॉदी वाले उत्पादों का एक्सपोर्ट सुविधाजनक बनाने के इरादे से असैन्य इस्तेमाल वाले कुछ खास तरह के ड्रोन (Drones) /यूएवी (UAVs) के निर्यात संबंधी मानदंडों में ढील देने की घोषणा की. वाणिज्य मंत्रालय की शाखा विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने कहा कि कुछ विशिष्टताओं वाले ड्रोन और मानवरहित हवाई वाहनों (UAVs) के निर्यात को 'ड्रोन निर्यात के सामान्य प्राधिकार' (GAED) के तहत मंजूरी दी जाएगी. जीएईडी तीन साल के लिए वैध लाइसेंस है.

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DGFT ने कहा, स्कोमेट (SCOMET) लिस्ट में दिए गए कैटेगरी के तहत नहीं आने वाले और 25 किलोमीटर या उससे कम दूरी तक जाने में सक्षम होने के साथ 25 किलोग्राम से कम पेलोड वाले और असैन्य इस्तेमाल वाले ड्रोन या यूएवी का निर्यात अब जीएईडी के अधीन होगा. स्कोमेट लिस्ट में विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण एवं प्रौद्योगिकी वाले उत्पाद शामिल हैं जिनके निर्यात की मंजूरी सिर्फ निर्यात लाइसेंस जारी होने पर ही दी जाती है.

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नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे लेकर ट्वीट करते हुए कहा कि "भारत में ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग को बूस्ट देते हुए असैन्य इस्तेमाल में आने वाले ड्रोन के निर्यात के प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है. इसका मतलब है कि अब यह “Special Chemicals Organisms Material Equipment & Technology” की लिस्ट से बाहर आ जाएंगे. साल 2030 तक भारत को ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग का हब बनाने के पीएम मोदी के मिशन की दिशा में यह बड़ा कदम है. इंडस्ट्री को मेरी बधाइयां."

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