Good News: IMF ने भारत का GDP ग्रोथ रेट 20 bps बढ़ाया, FY24 में 6.1% रहने का अनुमान
India GDP: IMF ने कहा कि ताजा अनुमान मजबूत घरेलू निवेश के परिणामस्वरूप 2022 की चौथी तिमाही में उम्मीद से कहीं बेहतर इकोनॉमिक ग्रोथ की गति आगे भी जारी रहने का संकेत देता है.
India GDP: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IFM) ने इस साल भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 6.1% रहने का अनुमान लगाया है. यह अप्रैल में जताये गये अनुमान के मुकाबले 20 बेसिस प्वाइंट्स अधिक है. IMF ने कहा कि ताजा अनुमान मजबूत घरेलू निवेश के परिणामस्वरूप 2022 की चौथी तिमाही में उम्मीद से कहीं बेहतर इकोनॉमिक ग्रोथ की गति आगे भी जारी रहने का संकेत देता है.
आईएमएफ ने अपने ताजा ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में कहा, भारत की ग्रोथ रेट 2023 में 6.1% रहने का अनुमान है. यह अप्रैल में जताये गये अनुमान से 0.20% ज्यादा है. रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि वैश्विक स्तर पर ग्रोथ रेट 2022 के 3.5% के अनुमान के मुकाबले 2023 और 2024 में कम होकर 3% रहने की संभावना है. हालांकि, 2023 के लिये अनुमान इस साल अप्रैल में जताये गये अनुमान से कुछ बेहतर है लेकिन ऐतिहासिक मानदंडों के आधार पर ग्रोथ रेट (Growth Rate) कमजोर बनी हुई है.
ये भी पढ़ें- किसानों को मालामाल बनाएगी सरसों की नई किस्म
2024 में महंगाई दर 5.2% पर आने की संभावना
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति (Inflation) को काबू में लाने के लिये केंद्रीय बैंक के नीतिगत दर में बढ़ोतरी से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है. वैश्विक स्तर पर खुदरा महंगाई (Retail Inflation) 2022 के 8.7% से घटकर 2023 में 6.8% और 2024 में 5.2% पर आने की संभावना है.
अमेरिका में बैंक डूबने का ग्लोबल ग्रोथ पर असर
IMF ने कहा कि अमेरिका में कर्ज सीमा को लेकर गतिरोध के हाल में समाधान और इस साल की शुरुआत में अमेरिका और स्विट्जरलैंड में कुछ बैंकों के विफल होने के बाद उद्योग में उथल-पुथल रोकने के लिये अधिकारियों के कड़े कदम से वित्तीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव का जोखिम कम हुआ है. इससे आउटलुक को लेकर जोखिम कुछ कम हुआ है. हालांकि, ग्लोबल ग्रोथ को लेकर जोखिम अभी बना हुआ है.
ये भी पढ़ें- Subsidy News: किसानों के लिए खुशखबरी! यहां 50% Subsidy पर मिल रहे खेती की मशीनें, जल्द करें आवेदन
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर और झटके आते हैं, तो मुद्रास्फीति ऊंची बनी रह सकती है और यहां तक कि बढ़ भी सकती है. इसमें यूक्रेन में युद्ध तेज होने और मौसम से जुड़ी चुनौतियों के कारण सख्त मौद्रिक नीति रुख शामिल है.
इसमें कहा गया है केंद्रीय बैंक के मौद्रिक नीति को आगे और कड़ा किये जाने से वित्तीय क्षेत्र में कुछ समस्या हो सकती है. चीन में रियल एस्टेट क्षेत्र में समस्या के कारण पुनरुद्धार की गति धीमी हो सकती है.
ये भी पढ़ें- भैंस की ये Top 10 नस्लें बना देगी मालामाल
रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी स्तर पर कर्ज संकट कई अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है. अच्छी बात यह है कि मुद्रास्फीति उम्मीद से अधिक तेजी से नीचे आ सकती है. इससे कड़ी मौद्रिक नीति की जरूरत नहीं होगी और घरेलू मांग और ज्यादा मजबूत हो सकती है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें