Housing sales: होम लोन महंगा होने और संपत्तियों के दाम बढ़ने के बावजूद देश के शीर्ष सात शहरों में इस साल आवासीय इकाइयों की बिक्री के पूर्व-महामारी स्तर से आगे निकल जाने की संभावना है. उद्योग दिग्गजों ने यह अनुमान लगाया है. उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले छह वर्षों में नोटबंदी, रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERA) के गठन, जीएसटी लागू होने और कोविड-19 महामारी जैसी लगातार चार बाधाएं आने के बाद देश का आवासीय बाजार बहुत सारे संरचनात्मक परिवर्तनों से गुजर रहा है और अब एक लंबी अवधि के वृद्धि की शुरुआत हो रही है.

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घर खरीदारों की शीर्ष संस्था एफपीसीई घर खरीद की धारणा में आए सुधार के लिए रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के तहत गठित रेरा प्राधिकरण को श्रेय देता है. सभी प्रमुख सूचीबद्ध रियल एस्टेट डेवलपरों ने पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में रिकॉर्ड बिक्री की थी और चालू वित्त वर्ष (2022-23) में उनकी बिक्री संख्या के और बेहतर होने का अनुमान है.

रेपो रेट 1.4 फीसदी बढ़ गया है

हालांकि आरबीआई की तरफ से नीतिगत रेपो दर में इस साल कुल 1.40 फीसदी की बढ़तरी करने और बैंकों की तरफ से इसका बोझ आवासीय कर्ज लेने वाले कर्जदारों पर डालने से घरों की बिक्री की गति धीमी हुई है. इसके अलावा आवासीय इकाइयों की कीमतों में बीते एक साल में दर्ज की गई उच्च वृद्धि ने भी कई लोगों को घर खरीद की योजना टालने के लिए मजबूर किया है.

त्योहारी सीजन में मांग में फिर से आएगी तेजी

निर्माण की उच्च लागत, खासकर सीमेंट और इस्पात की लागत बढ़ने के कारण जून तिमाही में कीमतों में सालाना आधार पर औसतन पांच फीसदी की वृद्धि हुई. लेकिन डेवलपरों और ब्रोकरों का मानना है कि लागत में वृद्धि अल्पकालिक है और त्योहारी सीजन से मांग में एक बार फिर तेजी आएगी.

कोरोना पूर्व स्तर को पार करेगी बिक्री

संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक ने कहा कि इस साल देश के सात प्रमुख शहरों- दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में आवासीय इकाइयों की बिक्री कोविड-पूर्व स्तर यानी 2019 में दर्ज की गई 2,61,358 इकाइयों को पार कर जाएगी. हालांकि फिर भी बिक्री वर्ष 2014 के 3.43 लाख इकाइयों के आंकड़े से कम होगी. एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि रेपो रेट में बढ़ोतरी का जून तिमाही में आवास की बिक्री पर कुछ असर पड़ा है, जो पिछली तिमाही से 15 फीसदी कम है.

9 फीसदी ब्याज दरों का मांग पर असर नहीं

मैक्रोटेक डेवलपर्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अभिषेक लोढ़ा ने कहा कि भारत का आवास उद्योग संरचनात्मक उत्थान के शुरुआती दौर में है. उन्होंने अगले 10-20 वर्षों के लिए विकास पर आशावादी नजरिया रखते हुए कहा कि आवास की कीमतों में मामूली वृद्धि बाजार के लिए अच्छी है. लोढ़ा ने कहा, "ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैं कि होम लोन पर 8.5-9 फीसदी ब्याज दरों तक आवास की मांग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है."

इंट्रेस्ट रेट बढ़ने के बावजूद अट्रैक्टिव प्राइसिंग

गोदरेज प्रॉपर्टीज के कार्यकारी चेयरमैन पिरोजशा गोदरेज ने कहा कि पिछले दो वर्षों में बाजार में सबसे अच्छी किफायत देखी गई क्योंकि ब्याज दरें 6.5 से सात फीसदी तक कम हो गई थीं. इस दौरान संपत्ति की कीमतें भी पिछले सात-आठ वर्षों से कमोबेश स्थिर बनी हुई थीं. उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी और घरों की कीमतें बढ़ने के बावजूद किफायत स्तर अब भी आकर्षक बना हुआ है.

हाउसिंग सेल्स की बिक्री बरकरार रहेगी

घर खरीदारों की शीर्ष संस्था एफपीसीई के अध्यक्ष अभय उपाध्याय ने कहा कि पिछले एक दशक से अधिक समय से चली आ रही मांग अब वास्तविक लेनदेन में परिवर्तित हो रही है. उन्होंने कहा कि आवास बिक्री की गति बरकरार रह सकती है बशर्ते बिल्डर्स समय पर फ्लैट की डिलिवरी के वादों पर खरे उतरें.