बरसात में फसल खराब होने के कारण प्याज, टमाटर समेत कई हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं. उधर, अनाज के दाम भी चढ़ गए हैं. बीते दो दिन से गेहूं मक्का समेत कई अनाजों के भाव में तेजी का रुख बना हुआ है. उड़द, चना समेत अन्य दलहनों के भाव भी पिछले कुछ दिनों से बढ़े हैं. नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDX) पर गुरुवार को मक्के में ढाई फीसदी की तेजी रही और हाजिर में भी मक्के का भाव करीब 50 रुपये तेज रहा. गेहूं का दाम भी हाजिर और वायदे में तेजे रहा.

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कारोबारियों ने बताया कि बाढ़ के कारण मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई प्रांतों में मक्के की फसल खराब होने से कीमतों में तेजी का रुख है. राजस्थान की बूंदी मंडी के जींस कारोबारी उत्तम जेठवानी ने कहा, "मक्के का दाम इस बार ऊंचा रहने से किसानों ने पहले ही अपना अनाज निकाल दिया है, इसलिए जो कुछ भी स्टॉक पड़ा हुआ है वह ऊंचे दाम पर बिक रहा है क्योंकि पशुचारे के लिए मक्के की जबरदस्त मांग है."

एनसीडीएक्स पर मक्के का अक्टूबर वायदा अनुबंध गुरुवार को 55 रुपये यानी 2.52 फीसदी की तेजी के साथ 2,155 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. देश में मक्के की प्रमुख मंडी बिहार के गुलाबबाग में मक्के का भाव 2,100-2,250 रुपये प्रति क्विंटल था.

पिछले साल रबी फसल की कटाई के समय गुलाबबाग में मक्के का भाव 1,100 रुपये प्रतिक्विंटल से भी कम चल रहा था. गेहूं का अक्टूबर वायदा अनुबंध गुरुवार को एनसीडीएक्स पर 10 रुपये की तेजी के साथ 2,080 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.

दिल्ली की लॉरेंस रोड मंडी में गुरुवार को मिल क्वालिटी गेहूं का भाव 2,190 रुपये प्रति क्विंटल था. कारोबारी सुनील ने बताया कि त्योहारी सीजन में फ्लोर मिल की लिवाली निकलने से पिछले दो दिनों से गेहूं के दाम में 40 रुपये का इजाफा हुआ है.

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में गेहूं का भाव और बढ़ेगा क्योंकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गेहूं का भाव अब 55 रुपये प्रति क्विं टल बढ़ जाएगा.

राजस्थान के कोटा में मिल क्वालिटी गेहूं 1,925-50 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि अच्छी क्वोलिटी के गेहूं का भाव 2,000 रुपये क्विंटल था. मध्य प्रदेश के उज्जैन के जींस कारोबारी संदीप शारदा ने बताया कि किसान इस समय सोयाबीन की खराब हुई फसल को संभालने में लगे हैं, इसलिए गेहूं की आवक कमजोर है, जिससे दाम ऊंचा हो गया है.

उज्जैन में मिल क्वालिटी गेहूं का भाव 2,000-2,065 रुपये प्रतिक्वंटल चल रहा था. मक्के की फसल देश में रबी और खरीफ दोनों सीजन में लगाई जाती है, जबकि गेहूं की पैदावार सिर्फ रबी सीजन में होती है.

मध्य प्रदेश के एक कारोबारी ने बताया कि मक्के की नई फसल की आवक अगले महीने में कई मंडियों में शुरू हो जाएगी, जिसके बाद कीमतों में कमी आ सकती है.

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी चालू फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के खरीफ फसलों का उत्पादन अनुमान के अनुसार, देश में खरीफ मक्के का उत्पादन 198.9 लाख हो सकता है जबकि पिछले साल 190.4 लाख टन था.

गेहूं का उत्पादन बीते फसल वर्ष 2018-19 में 10.05 करोड़ टन रहा जोकि अब तक का रिकॉर्ड उत्पादन है. सरकार ने इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,840 रुपये प्रति क्विंटल पर सीधे किसानों से 341.32 लाख टन गेहूं खरीदा और इस समय एफसीआई के पास 435.88 लाख टन (अगस्त का स्टॉक पोजीशन) बचा हुआ है.